Saturday, December 6, 2025
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कैथल के 14 युवक अमेरिका से डिपोर्ट, डंकी रूट से पहुंचे थे

पुलिस ने 13 युवकों को परिजनों को सौंपा तो एक युवक को लिया हिरासत में

कैथल, 26 अक्तूबर। विदेश में बेहतर जिंदगी के सपने देखने वाले कैथल जिले के 14 युवाओं का अमेरिकी सफर जेल और बेडिय़ों में खत्म हो गया। अमेरिकी प्रशासन ने सभी युवकों को अवैध प्रवेश के आरोप में डिपोर्ट कर भारत भेज दिया है। ये युवक ‘डंकी रूट’ के जरिए खतरनाक जंगलों और सीमाओं को पार कर अमेरिका पहुंचे थे। अब शनिवार देर रात

दिल्ली एयरपोर्ट पर उतारे जाने के बाद पुलिस ने सभी को कैथल पुलिस लाइन में लाकर पूछताछ शुरू कर दी है। डिपोर्ट किए गए युवकों की उम्र 25 से 40 वर्ष के बीच है। कोई खेत-जमीन बेचकर गया था, तो किसी ने लाखों का कर्ज लेकर सपनों के देश की ओर रुख किया था। इनमें तारागढ़ के नरेश, पीडल के कर्ण, अग्रसेन कॉलोनी के मुकेश, कैथल के

ऋतिक, जडौला के सुखबीर सिंह, हाबड़ी के अमित, बुच्ची के अभिषेक, बात्ता के मोहित, पबनावा के अशोक कुमार, सेरधा के आशीष, हाबड़ी के दमनप्रीत, सिसला के प्रभात और ढांड के सतनाम सिंह  शामिल हैं। डीएसपी यादव ने बताया कि प्राथमिक जांच में पता चला है कि ये सभी युवक टूरिस्ट वीजा या फर्जी दस्तावेजों के सहारे अमेरिका पहुंचे थे। कुछ के

पास तो कोई वैध दस्तावेज भी नहीं थे। वहां दस्तावेजों की जांच के दौरान ये पकड़ में आ गए। कई महीनों तक जेल में रखने के बाद अमेरिकी प्रशासन ने सभी को बेडिय़ों में बांधकर विमान से भारत भेजा। डीएसपी ललित यादव ने बताया कि फिलहाल सभी युवकों से पूछताछ जारी है। एक युवक को छोडक़र अभी तक किसी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड सामने

नहीं आया है, बाकी युवाओं को दस्तावेजी जांच के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि इसी वर्ष फरवरी में भी कैथल जिले के 7 युवकों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया था, जिनमें कलायत, मटौर, काकौत, रामनगर और गुलियानी गांवों के युवक शामिल थे। लगातार बढ़ रहे डंकी रूट मामलों ने एक बार फिर अवैध इमिग्रेशन नेटवर्क की हकीकत को उजागर कर दिया है।

एक युवक को पुलिस ने लिया हिरासत में

पुलिस जांच में अब तक तारागढ़ निवासी नरेश कुमार के खिलाफ दो पुराने मामले सामने आए हैं। एक चेक बाउंस और दूसरा शराब तस्करी से जुड़ा। वह दोनों मामलों में अदालत से अनुपस्थित था और विदेश भाग गया था। अब उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। पुलिस ने फिलहाल युवक को हिरासत मेें ले लिया है।

दीवार फांदते ही किया गिरफ्तार

एक डिपोर्टेड युवक ने बताया कि वह दो साल पहले अपनी डेढ़ एकड़ जमीन बेचकर पनामा के जंगलों से होकर डंकी रूट के रास्ते अमेरिका पहुंचा था। रास्ते में उसे मौत जैसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। पनामा के घने जंगल, खतरनाक

रास्ते, दलदल और समुद्री रास्तों से होते हुए वह किसी तरह अमेरिका की सीमा तक पहुंचा, लेकिन जैसे ही दीवार फांदी, अमेरिकी एजेंसियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया। दो साल तक जेल में रहने के बाद अब उसे भारत भेज दिया गया है।

अभी तक नहीं आई किसी एजेंट के खिलाफ कोई शिकायत:
पुलिस ने बताया कि अब तक किसी भी युवक ने उन एजेंटों या दलालों के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करवाई है, जिन्होंने

14 महीने जेल में रहकर लौटा वतन

मैं शनिवार को अमेरिका की जेल से डिपोर्ट होकर भारत आया हूं। नौ जनवरी 2024 को दिल्ली से ब्राजील गया था। वहां उसका संपर्क पानीपत निवासी एजेंट आशीष कुमार और सुनील कुमार से हुआ था। दोनों ने मुझे डंकी के रास्ते ब्राजील से अमेरिका भेजने के साढ़े 57 लाख रुपये लिए थे। मैंने गांव की अपनी करीब एक एकड़ जमीन बेच कर 42 लाख रुपये

और बकाया पैसे ब्याज पर उठाए थे। मार्च 2025 में दोनों को 42 लाख रुपये दिए थे। जून में डंकी के रास्ते सफर शुरू कर दिया था। पनामा के जंगलों से होते हुए आगे तक गए थे। डोंकर ठीक से खाना भी नहीं देते थे। ग्वाटेमाला पहुंचा तो उससे डोंकर ने छह लाख रुपये ले लिए थे। वहां से मैक्सिको सिटी पहुंचा तो छह लाख रुपये वहां लिए गए। वहां से

तेजवाना बार्डर पार करके अमेरिका भेजने के नाम पर भी करीब तीन लाख रुपये ले लिए थे। पैसे लेने के बाद भी मुझे दूसरे बार्डर से अमेरिका भेजा और वहां पहुंचते ही पुलिस ने पकड़ लिया था। डंकी रूट पर मुझे करीब दो महीन का

समय लगा था। इसके बाद से मैं जेल में ही था। अमेरिका की जेलों और कैंपों में काफी संख्या में भारतीय बंद हैं। अभी बहुत से जहाज भारत आने हैं। मैं तो युवाओं को हाथ जोडक़र कहूंगा कि कोई भी युवा डंकी के रास्ते से अमेरिका ना जाए।

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