हनुमान वाटिका, बिजली दफ्तर, पब्लिक हैल्थ व नगरपालिका में की सभाएं एवं गेट मीटिंग
कैथल । सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व सीटू ने 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारी को लेकर राज्य स्तरीय जत्थे चलाते हुए हनुमान वाटिका, बिजली दफ्तर, पब्लिक हैल्थ व नगरपालिका में कर्मचारियों, मजदूरों और परियोजना कर्मियों की सभाएं एवं गेट मीटिंग की। इसकी अध्यक्षता संयुक्त रूप से एसकेएस के जिला प्रधान शिवचरण व सीटू के जिला प्रधान
बसाऊ राम चंदाना ने और संचालन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला सचिव मास्टर रामपाल शर्मा व जयप्रकाश ने किया। उन्होंने कहा कि राज्य में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी है और कर्मचारियों, परियोजना कर्मियों, मजदूरों व आम मेहनतकश जनता की उपेक्षा के साथ-साथ लगातार वादा खिलाफी कर रही है। एसकेएस और सीटू राज्य सरकार को मांगपत्र भेजकर बातचीत से समाधान करने की अपील कर चुके हैं लेकिन सरकार बातचीत से समाधान करना नहीं चाहती। मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए सीटू के राज्य उपप्रधान
कामरेड सुरेंद्र मलिक व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य उपप्रधान जरनैल सिंह ने कहा कि मांगों को लागू करने में सरकार आनाकानी कर रही है जिसको लेकर कर्मचारियों, मजदूरों, परियोजना कर्मियों में भारी रोष है। नौ जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होकर इसका करारा जवाब दिया जाएगा। इस अवसर पर ओमपाल भाल, रामकुमार शर्मा, छज्जू राम, सावित्री देवी, विजय शर्मा, अमरनाथ किठानिया, नरेश रोहेड़ा, ईश्वर सिरोही, रघबीर सिंह, पवन कुमार, दलबीर सिंह, राजकुमार चहल, पृथ्वी सिंह, कृष्ण चंदाना, स्वराज सिंह,
दीपेंद्र कोहली, राजेंद्र नैन, सुरेश शर्मा, सतबीर सैनी, गौरव टांक, विक्की टांक, महेंद्र बिड़लान, राजकुमार मचल, जगदीश कुमार, शकुंतला, मंजीत हाबड़ी, रीतू क्योडक़, सुषमा जड़ौला, कविता राजौंद, धूप सिंह, राजकुमार सोलंकी, नरेश शर्मा व कृष्ण गुलियाना भी मौजूद रहे।
ये हैं कर्मचारियों की मांगें
अतिशीघ्र आठवें वेतन आयोग का गठन करना और जब तक आठवां वेतन अयोग लागू नहीं किया जाता सभी कर्मचारियों को बढ़ती हुई महंगाई के अनुसार 5 हजार रुपये अंतरिम राहत के रूप में देना, आठवें वेतन आयोग से पहले 7वें वेतन अयोग की विसंगतिया दुरुस्त करना, पुरानी पेंशन बहाल करना, हटाए गए कौशल के सभी कर्मचारियों को वापिस लेते हुए नियमितीकरण की पॉलिसी बना कर सभी तरह के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, परियोजना कर्मियों को कर्मचारी का दर्जा देना, बिना शर्त के एक्सग्रेसिया पॉलिसी लागू करना,
पूंजीपतियों के हक में बनाए गई चार श्रम संहिताओं को रद्द करना, बढ़ते हुए महंगाई भत्ते के अनुसार आवास भत्ते में बढ़ोतरी करना, कर्मचारियों के आश्रितों के मेडिकल प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान आश्रित की आय को जोड़े बिना करना, आबादी व क्षेत्रफल के अनुसार 10 लाख बेरोजगारों को पक्का रोजगार देना, परियोजना कर्मियों व मजदूरों को 26 हजार रुपए न्यूनतम मानदेय देना, विभागों का निजीकरण ना करके उनका विस्तार करके जनता को सस्ती दर पर शिक्षा, स्वस्थ, सफाई व अन्य सुविधा उपलब्ध कराना आदि शामिल हैं।

