कैथल, 9 दिसंबर । डीसी अपराजिता ने मंगलवार को बैठक लेकर सेवा अधिकार अधिनियम और राज्य के प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सरल पोर्टल पर नागरिकों को उपलब्ध करवाई जा रही विभिन्न सेवाओं की स्थिति की गहन समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि उनके स्तर पर पोर्टल पर कोई भी आवेदन तय समय से देरी तक लंबित
न रहे। इसके लिए चाहे उन्हें अपने विभाग मुख्यालय तक जाना पड़े या फिर साथ जुड़े विभाग के अधिकारियों के साथ तालमेल बनाना पड़े। स्वयं पहल करते हुए इन आवेदनों को तय समय में निपटाएं। ताकि सरकार के निर्देशानुसार लोगों
को समय पर सेवाएं मिल सकें। डीसी ने कहा कि इन पोर्टल पर आवेदन महज संख्याएं नहीं हैं, ये आमजन की समस्याएं हैं। जिनका समय पर समाधान बहुत जरूरी है। इसमें किसी भी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डीसी ने सभी विभागाध्यक्षों को कड़े निर्देश दिए कि बैठक में स्वयं उपस्थित हों। साथ ही नागरिकों की लंबित शिकायतों का समय पर और प्राथमिकता के आधार पर समाधान सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि राइट टू सर्विस एक्ट के
तहत सभी सेवाएं जैसे जाति प्रमाण पत्र, शादी का पंजीकरण, आय प्रमाण पत्र, रिहायशी प्रमाण पत्र आदि निर्धारित तय समय अवधि के भीतर नागरिकों को उपलब्ध करवाई जाएं।
अधिकारियों को सरल पोर्टल पर आने वाले आवेदनों की दैनिक निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि कोई भी आवेदन अनावश्यक रूप से लंबित न रहे। डीसी ने विशेष रूप से उन आवेदनों पर ध्यान केंद्रित किया जो किसी कारणवश मुख्यालय स्तर पर लंबित हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मुख्यालय स्तर पर लंबित पड़े ऐप्लिकेशन
को लेकर संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ अच्छा तालमेल बैठाया जाए। जरूरी पत्राचार और फॉलोअप करके जल्द से जल्द उनका समाधान करें ताकि नागरिकों को बेवजह इंतजार न करना पड़े। डीसी ने स्पष्ट किया कि सेवाओं में विलंब का मुख्य कारण मुख्यालय स्तर पर तालमेल की कमी नहीं होनी चाहिए।
डीसी अपराजिता ने जोर देकर कहा कि सरल पोर्टल सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्लेटफार्म का
उपयोग नागरिकों को बिना किसी परेशानी के सरकारी सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रभावी ढंग से किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि सेवा प्रदान करने में लापरवाही या जानबूझकर देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

