Monday, December 22, 2025
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आरएसएस की सेवा, संस्कार, त्याग व तपस्या और राष्ट्रनिर्माण की 100 वर्षों की गौरवपूर्ण यात्रा : अमरजीत छाबड़ा ने कहा

कैथल । आरएसएस शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में जाट स्कूल मैदान में संघ द्वारा शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने पर पद संचालन किया गया। भाजपा सेवा पखवाड़े के जिला संयोजक अमरजीत छाबड़ा ने अपने पुत्र नमन छाबड़ा, 5 वर्ष की आयु में पृथ्वी राज सिंह व जय विराज सिंह पोतों के साथ इस कार्यक्रम रूपी पवित्र यज्ञ में भाग लिया व पद संचलन किया।

इस मौके पर अमरजीत छाबड़ा ने कहा कि 1925 में विजयादशमी के दिन परम पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा संघ की स्थापना की गई जिसमें डेढ़ दर्जन स्वयंसेवकों से पहली शाखा से शुरू होकर आज यह देशभर में 83000 से ज्यादा शाखाएं लगती हैं व करोड़ों की संख्या में स्वयंसेवक हैं। संगठन आज न केवल भारत का सबसे बड़ा सांस्कृतिक

संगठन बन चुका है, बल्कि राष्ट्रहित, सामाजिक सेवा और मानवीय मूल्यों का भी जीवंत प्रतीक बन गया है। संघ की यह यात्रा केवल संगठनात्मक विस्तार की नहीं रही, बल्कि यह एक वैचारिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की कहानी है। गांव-गांव, गली-गली में शाखाओं के माध्यम से जो संस्कार बीज रूप में बोए गए थे आज वे वटवृक्ष बनकर राष्ट्र निर्माण की छांव

प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सन 1925 में एक छोटी सी पहल के रूप में शुरू हुआ संघ, आज एक ऐसे आंदोलन में परिवर्तित हो चुका है जिसने हर आपदा में सेवा और हर संघर्ष में संकल्प का परिचय दिया है। आज संघ से जुड़ी सहायक संस्थाएं समाज के हर वर्ग में सक्रिय हैं। आपदा राहत, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, स्वदेशी आंदोलन, संघ ने

अपने विविध सेवा कार्यों से समाज को नई दिशा दी है। छाबड़ा ने कहा कि संघ को लेकर समय-समय पर कई मिथक और आलोचनाएं भी उठती रही हैं, लेकिन संगठन ने सदैव संयम, संवाद और सेवा से जवाब दिया है।

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