इंडिया गौरव ब्यूरो कैथल, 19 जून । सहकारी चीनी मिल परिसर कैथल में वीरवार को गन्ना फ सल संरक्षण जिसमें गन्ना फ सल के नाशी-कीटों की पहचान एवं रोकथाम तथा गन्ना फ सल में बीमारियों की पहचान व रोकथाम के उद्देश्य से गन्ना फ ील्ड कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें हरियाणा चीनी मिल प्रसंघ के गन्ना सलाहकार डॉ. रोशन लाल यादव ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उन्होंने गन्ना फ ील्ड स्टॉफ को गन्ना फ सल में लगने वाले हानिकारक कीटों जैसे दीमक, कन्सूआ, चोटी भेदक, तना छेदक, काली कीड़ी व जड़ भेदक की पहचान तथा इनके कारण गन्ना फ सल को होने वाले नुकसान व रोकथाम के बारे में विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
इसके अतिरिक्त गन्ना फ सल में लगने वाली प्रमुख बीमारियों जैसे लाल सड़न रोग, उकठा रोग स्मट, पोक्का बोईंग टॉप रोट रोग की पहचान तथा गन्ना फ सल को होने वाले नुकसान तथा प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने किसानों सलाह दी कि वो अपनी गन्ना फ सल का रोजाना सुबह व सायं के समय निरीक्षण करते रहे, यदि कोई कीट या बीमारी ग्रस्त पौधे नजर आए तो तुरंत अपने संबंधित गन्ना फ ील्ड स्टॉफ से सम्पर्क करें, ताकि समय पर उचित प्रबंधन व नियंत्रण किया जा सके। उन्होंने किसानों से आह्वान
किया कि वो गन्ने की खेती को ज्यादा से ज्यादा अपनाए तथा आगामी शरद्कालीन गन्ना बीजाई सीजन में नई तकनीकी अपनाकर पैदावार को अधिक से अधिक बढ़ाएं, क्योंकि सामान्य विधि से गन्ना बीजाई करके 400 म्ंिटल प्रति एकड़ या इससे अधिक पैदावार लेना सम्भव नहीं रहा है। चौड़ा खुड विधि, टेंऊ च विधि, युगिमत विधि से बीजाई व बैड प्लांटर विधि अपनाकर किसान सामान्य विधि की अपेक्षा कहीं अधिक गन्ने की पैदावार ले सकते हैं तथा आसानी से इन विधियों के साथ अन्तर्वति फ सलें जैसे प्याज, लहसून, सरसों आलू, मटर, गेहूं व कम चौड़े पते वाली सभी प्रकार की सब्जियां आसानी से उगा कर अपनी आमदनी को 25-35 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को अन्य फ सलों की भांति अपनी खुद की गन्ना बीज नर्सरी तैयार करनी चाहिए तथा गन्ना बीज को हर तीन चार सालों के पश्चात् उपचारित बीज से बिजाई करनी चाहिए। जिसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक तो पैदावार नहीं घटती तथा दूसरी शोधित बीज से तैयार फ सल में कीटों व बीमारियों को प्रकोप कम रहता है।
इस अवसर पर सहकारी चीनी मिल के प्रबन्ध निदेशक कृष्ण कुमार ने गन्ना फ ील्ड स्टॉफ को निर्देश दिए कि प्रत्येक स्टॉफ सदस्य अपने क्षेत्र के गन्ना किसानों से निरन्तर सम्पर्क में रहें व गन्ना फ सल का बारिकी से प्रतिदिन निरीक्षण करके मौके पर ही समस्या का समाधान करवाना सुनिश्चित करें। सभी कर्मचारी अपने- अपने क्षेत्र में गन्ना बीज नर्सरी रजिस्टर तैयार करें, जिसमें फॉउडेशन बीज, ब्रीडर बीज व प्राथमिक बीज का विवरण अलग से रखें तथा बीज नर्सरी प्लाटों का नियमित अन्तराल पर निरीक्षण जारी रखें। अभी से
शरदकालीन गन्ना बिजाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित करें। प्रबन्ध निदेशक द्वारा गन्ना प्रबन्धक को निर्देशित किया गया कि वह शरद्कालीन गन्ना बीजाई के लक्ष्य निर्धारित करके प्रत्येक फ ील्ड कर्मचारी को तुरन्त जारी कर दें, ताकि आगामी पिराई सत्र में मिल क्षेत्र में गन्ने की उपलब्धता में कोई कमी ना रहें। इससे आगे प्रबन्ध निदेशक ने जानकारी दी कि साल 2025 अन्तरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत आज का थीम सहकारिता में पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयासों में तेजी लाना हैं। इस अवसर पर गन्ना प्रबन्धक जसमिन्द्र सिंह, गन्ना विकास अधिकारी रामपाल, गन्ना निरीक्षक सुलतान सिंह, रामपाल सिंह, सूर्यप्रकाश, राजबीर आदि मौजूद रहे।

