Monday, June 16, 2025
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सिद्ध शक्तिपीठ है कामाख्या मंदिर, हर तंत्र, हर कामना पूरी होती है यहां

कामाख्या देवी मंदिर में ना तो कोई प्रतिमा दिखेगी और ना ही कोई तस्वीर यहां बस पत्थरों में योनी
आकार का भाग है। यह मंदिर अपने आप में एक बेहद ही रहस्यमयी मंदिर है। कामाख्या देवी
तांत्रिको के लिए सबसे महत्वपूर्ण देवी है। इसलिए यहां तांत्रिक अपनी सिद्धियां प्राप्त करने आते है।

भारत देश रहस्यों से भरा पड़ा है। देश में ऐसे कई रहस्यमयी मंदिर है जिनके आगे विज्ञान तक फेल
हो गया है। आज हम आपको भारत के 10 प्रमुख रहस्यमयी मंदिरों में से एक एवं 51 शक्तिपीठों में
प्रमुख कामाख्या देवी मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहें है। असम राज्य की राजधारी दिसपुर के

समीप गुवाहाटी से 8 किलोटिर दूर कामाख्या देवी का मंदिर है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक
प्रमुख मंदिर है। जहां सती देवी का योनि भाग गिरा था। आज भी यहां देवी के मासिक धर्म के
कारण 3 दिन तक पानी लाल पड़ जाता है। यहां पर सैकड़ों तांत्रिक अपने एकांतवास से बाहर आते है

और अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करते है। मंदिर से काफी रहस्य जुड़े हुए है। यहा हर वर्ष अपनी
मनोकामना लेकर लाखों की तादात में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते है। काले जादू एवं श्राप से मुक्ति
भी यही पर मिलती है।

यहां गिरा था देवी का योनि भाग, आज भी बहती है जल की धार
बताया जाता है कि भगवान शिव से क्रोधित होकर सती ने विनाशकारी तांडव नृत्य धारण किया था।
सती ने धरती को नष्ट करने की चेतावनी दी थी। क्रोध में आकर भगवान विष्णु ने सती के 51
टुकड़े कर दिए थे। जो पृथ्वी के अलग-अलग भागों में जाकर गिरे। इन्हीं में से सती का योनि भाग

यहां गिरा था। यहां पर मंदिर में चट्टान के बीच बनी आकृति देवी की योनि को दर्शाता है। जिसके
पास में एक झरना मौजूद है। योनि भाग से जल धार हल्की बहती रहती है। श्रद्धालुओं की मानें तो
इस जल का पान करने से हर प्रकार के रोग एवं बीमारी दूर होती है।

लगता है अम्बुबाची का मेला, देवी के मासिक धर्म के कारण लाल पड़ जाता है कपड़ा
कामाख्या देवी मंदिर पर हर वर्ष अम्बुबाची मेला लगता है। इस दौरान यहां का पानी लाल पड़ जाता
है। पानी का लाल होना कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण होना बताया जाता है। इसलिए तीन

दिन तक मंदिर के पट (द्वार) बंद कर दिए जाते है। इन तीन दिनों के बाद द्वार खोल जाते है तो
यहां लाखों की तादात में भक्त दर्शन करने पहुंचते है। देवी के मासिक धर्म से गिले हुए वस्त्रों को
प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इस गिले कपड़े को अम्बुबाची कहते है। इसलिए मेले का नाम भी
अम्बुबाची दिया गया है।

तांत्रिकों के लिए महत्वपूर्ण है कामाख्या देवी, पशु की बली देकर करते है प्रसन्न
कामाख्या देवी मंदिर में ना तो कोई प्रतिमा दिखेगी और ना ही कोई तस्वीर यहां बस पत्थरों में योनि
आकार का भाग है। यह मंदिर अपने आप में एक बेहद ही रहस्यमयी मंदिर है। कामाख्या देवी

तांत्रिको के लिए सबसे महत्वपुर्ण देवी है। इसलिए यहां तांत्रिक अपनी सिद्धियां प्राप्त करने आते है।
तांत्रिकों के लिए काली और त्रिपुर सुंदरी देवी के बाद कामाख्या सबसे महत्वपूर्ण देवी है जो तांत्रिको
को सिद्धियां प्रदान करने में सहायक है। जब व्यक्ति पूरी तरह तांत्रिक नहीं बनता जब तक वो
कामाख्या के सामने मत्था नहीं टेकता है। नहीं तो देवी नाराज हो जाती है। यहां का तांत्रिक मेला

अपने आप में रहस्यमीय है। इसलिए कामाख्या देवी मंदिर को सबसे शक्तिशाली मंदिर माना गया है।
यहां पर बकरे या भैंसे की बलि देकर भंडारा करने से कामाख्या देवी प्रसन्न होती है। इतना ही नहीं
अगर किसी पर काला जादू या श्राप का साया है तो उसे यहीं से छुटकारा मिलता है।

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