Saturday, December 6, 2025
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एकादशी व्रत से आत्मा होती है शुद्ध, पापों का होता है विनाश और मोक्ष का द्वार खुलता है : महंत लक्ष्मी नारायण पुरी

इंडिया गौरव, राहुल सीवन। आषाढ़ शुक्ल एकादशी का पावन पर्व क्षेत्र में श्रद्धा, आस्था और उल्लास के साथ मनाया गया। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ रही। भक्तों ने व्रत रखकर भगवान विष्णु के चरणों में शीश नवाया और पुण्य लाभ प्राप्त किया। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और भगवान श्रीहरि से सुख-शांति, समृद्धि और मोक्ष की कामना की। मंदिरों में भजन-कीर्तन गूंजते रहे और जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। ऐसा विश्वास है कि इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति ईश्वर के सान्निध्य में स्थान प्राप्त करता है।

संत महंत लक्ष्मी नारायण पुरी जी महाराज ने कहा

प्रसिद्ध संत महंत लक्ष्मी नारायण पुरी जी महाराज ने कहा कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी जिसे हरि शयनी एकादशी भी कहा जाता है, केवल एक व्रत नहीं बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण का महान अवसर है। उन्होंने बताया कि चातुर्मास की शुरुआत इसी एकादशी से मानी जाती है और इस समय से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान दिल, वचन और कर्म की पवित्रता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक होता है। महंत लक्ष्मी नारायण पुरी जी ने कहा कि व्रत केवल भोजन न करने का नाम नहीं है बल्कि दिल और विचारों की भी पवित्रता का नाम है। सत्य, अहिंसा, दया, करुणा और प्रेम जैसे दिव्य गुणों का पालन ही सच्चे व्रत का सार है।

भगवान विष्णु का अधिकाधिक स्मरण करें

उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि इस व्रत के दौरान भगवान विष्णु का अधिकाधिक स्मरण करें, भजन-कीर्तन करें, दान-पुण्य करें और दिल, वाणी और आचरण को निर्मल बनाएं। उन्होंने कहा कि जीवन में जब तक भक्ति, सेवा और सच्चे आचरण का समावेश नहीं होगा, तब तक आत्मा की शुद्धि संभव नहीं। एकादशी व्रत हमें यह सिखाता है कि संसारिक बंधनों से ऊपर उठकर ईश्वर से जुड़ना ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति के माध्यम से ही मानव जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अपनी आत्मा, विचार और कर्म को भी शुद्ध और निर्मल रखना चाहिए

महंत लक्ष्मी नारायण पुरी जी ने जोर देते हुए कहा कि हर श्रद्धालु को न केवल व्रत रखना चाहिए बल्कि अपनी आत्मा, विचार और कर्म को भी शुद्ध और निर्मल रखना चाहिए। सेवा, सहयोग और सद्भावना से जीवन को सुंदर बनाया जा सकता है। एकादशी व्रत आत्मा के अंधकार को दूर कर ज्ञान, भक्ति और प्रकाश की ओर ले जाता है। इस अवसर पर उन्होंने सभी भक्तों के सुख, शांति और मंगल की प्रार्थना की। इस अवसर पर सुमन, दीपिका, नीलम, उषा सहित कई श्रद्धालु उपस्थित थे। 

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