ढांड, 16 अक्तूबर । युवा भाकियू प्रदेशाध्यक्ष राजीव आर्य ढांड ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम कानून देश के आम नागरिकों को सशक्त बनाने का एक मजबूत हथियार था। पूर्व यूपीए सरकार ने 12 अक्तूबर 2005 को इस कानून को लागू कर देश में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई मिसाल कायम की थी। लेकिन बीजेपी ने सत्ता में आने के 5
बाद से लगातार संशोधन कर, इस कानून को कमजोर करके, आम नागरिक को इस सशक्त अधिकार से वंचित करने का काम किया है। कस्बे में बातचीत करते हुए युवा किसान नेता राजीव आर्य ढांड ने कहा कि सूचना का अधिकार कानून उस एजेंडे का हिस्सा था, जिसमें मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, वन अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा जैसे 5
जनहितकारी कदम शामिल थे। आरटीआई ने आम लोगों, खासकर समाज के सबसे कमजोर तबके को भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी आवाज उठाने का हक दिया। लेकिन 2014 के बाद से बीजेपी द्वारा आरटीआई को लगातार कमजोर किया जा रहा है, जिससे देश की पारदर्शिता और लोकतंत्र पर गहरा असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य आयोगों में 5
खाली पदों को पारदर्शी और जल्दी भरा जाए। आयोगों के लिए कामकाज के मानक तय हों और मामलों के निपटारे की रिपोर्ट सार्वजनिक हो। व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट को तुरंत लागू कर आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा दी जाए। आयोग में पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और महिलाओं को शामिल कर विविधता सुनिश्चित हो। युवा भाकियू 5
प्रदेशाध्यक्ष राजीव आर्य ने आरोप लगाया कि अपने फायदों के लिए इसमें भाजपा सरकार ने संशोधन किए हैं। आरटीआई के आलावा और भी कई कानूनों को कमजोर किया गया है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम लागू करके देश को एक नई राह दिखाने का काम किया था। राजीव आर्य ने कहा कि इस कानून के तहत किसी भी विभाग में किसी भी 5
तरह की किसी भी स्तर के व्यक्ति के बारे में देश का आम नागरिक जानकारी हासिल कर सकता था। वर्ष 2014 के बाद भाजपा सरकार बनी तो एक के बाद एक कानून को कमजोर किया जाता रहा। संशोधन के नाग पर नए नियम इसमें तय कर दिए गए। यह एक तरह से देश की पारदर्शिता पर चोट करने जैसा था। उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हुए हमलों पर भी चिंता जाहिर की।

