कैथल, 20 नवंबर। चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र कैथल द्वारा वीरवार को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय प्योदा में विद्यालय स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
केंद्र के वैज्ञानिक तथा शिविर के आयोजक डॉ. अमित कुमार ने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ने के साथ जमीनों में उपस्थित मित्र कीट भी नष्ट होते है, जो हमारी पैदावार पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। पराली का यथास्थान प्रबंधन करके भूमि की जैविक कार्बन को बढ़ा सकते हैं जो भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने का प्रमुख कारक हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे किसानों को संदेश दे कि किसान फसल अवशेष प्रबंधन में कृषि विश्वविद्यालय तथा प्रशासन का सहयोग करे और अपनी भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाए।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. जसबीर सिंह ने बताया कि किसान भाई सरकार द्वारा अनुदान पर दी जाने वाली मशीनों जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, स्मार्ट सीडर, सरफेस सीडर, जीरो टिलेज मशीन, मल्चर, चॉपर तथा रोटावेटर द्वारा फसल अवशेषों का यथास्थान प्रबंधन कर सकते हैं। सरकार खेतों से बाहर फसल अवशेष प्रबंधन के लिए भी मशीने जैसे हे रेकर, बेलर इत्यादि भी उपलब्ध करवा रही है।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. जसबीर सिंह ने कहा कि रसायन मुक्त खेती आज समय की मांग है तथा किसानों के पास खुद की जमीन हैं, इसलिए वे सौभाग्यशाली है कि वो अपना शुद्ध अनाज व सब्जियां पैदा करके खा सकते हैं। इस शिविर में विद्यालय के अध्यापकगण सुखविंदर सिंह, राजेश सहित करीब 105 विद्यार्थियों ने भाग लिया।

