कैथल, 4 नवंबर । प्रसिद्ध क्लासिकल होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. विकास सिंघल ने हैनिमैन कॉलेज ऑफ़ होम्योपैथी, लंदन द्वारा आयोजित सेमिनार इंटरनेशनल होम्योपैथिक कांग्रेस लंदन-2025 में क्रॉनिक ऑस्टियोमायलाइटिस यानि हड्डियों के संक्रमण से पूरी तरह ठीक हुए पेशेंट का केस प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में हैनिमैन कॉलेज ऑफ़ होम्योपैथी के
निदेशक और प्राचार्य डॉ. शशि मोहन शर्मा और प्रसिद्ध बल्गेरियाई होम्योपैथ डॉ. लोरा जॉर्जीवा भी उपस्थित थे। उनकी प्रस्तुति आधुनिक होम्योपैथी के विकसित होते दायरे और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मज़बूत मिसाल बनी और विभिन्न देशों के गणमान्य और प्रसिद्ध होम्योपैथिक डॉक्टर्स ने इस प्रस्तुति को सराहा और इस से प्रेरणा ली। इन देशों में रोमानिया,
बल्गेरिया, घाना, नाइजीरिया, कनाडा, अमेरिका, यूके, सर्बिया, बांग्लादेश, स्कॉटलैंड, आयरलैंड और पुर्तगाल समेत कुल 24 देश शामिल थे। यह केस असम के तिनसुकिया निवासी एक 19 वर्षीय युवक से संबंधि तथा जो 2019 से बाएं पैर के जांघ की हड्डी में सर्जरी के बाद हुए क्रॉनिक ऑस्टियोमायलाइटिस से पीडि़त था। कई बार सर्जरी और एंटीबायोटिक कोर्स
से भी कोई फायदा न होने पर पेशेंट के अभिभावकों ने नवंबर 2020 में डॉ. सिंघल से कंसल्टेशन ले कर पेशेंट का इलाज शुरू करवाया। लगभग साढ़े तीन सालों के इलाज के बाद अप्रैल 2024 तक पेशेंट पूरी तरह ठीक हो गया जिसकी पुष्टि रेडियोलॉजी टेस्ट्स जैसे एक्स-रे से हुई। इसके बाद डॉ. सिंघल ने पेशेंट का एक वर्ष तक लगातार फ़ॉलो-अप किया गया
जिसमें पेशेंट का स्वास्थ्य स्थिर रहा और रीलैप्स का कोई लक्षण नहीं पाया गया। डॉ. सिंघल की प्रस्तुति को सेमिनार में उपस्थित विश्वभर के होम्योपैथिक विशेषज्ञों और विद्वानों ने साक्ष्य-आधारित सटीकता के लिए सराहा। उनका कार्य भारत की पृष्ठभूमि में होम्योपैथी की बढ़ती हुई अग्रणी भूमि का को भी दर्शाता है और साथ ही यह दर्शाता है कि कैसे भारत के
होम्योपैथिक चिकित्सक अनुसंधान-आधारित, समग्र और संतुलित होम्योपैथिक चिकित्सा के माध्यम से क्रॉनिक यानी देर तक रहने वाली और दुर्लभ बीमारियों के उपचार में विश्व स्तर पर योगदान दे रहे हैं।

