ढांड, 20 नवंबर : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में गुरुकुल ऑफ एक्सीलेंस पबनावा के अध्यक्ष बलिंदर आर्य एवं वेद विद्या शोध संस्थान द्वारा वीआईपी घाट पर वेदों पर आधारित सनातन संस्कृति की प्रेरक प्रदर्शनी लगाई गई, जिसने श्रद्धालुओं का विशेष ध्यान आकर्षित किया। प्रदर्शनी को स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती जी ने मार्गदर्शन प्रदान किया, जिसमें सनातन ,
संस्कृति, गुरुकुल परंपरा और प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली के महत्व को विस्तारपूर्वक प्रदर्शित किया गया। अध्यक्ष बलिंदर आर्य ने बताया कि गांव कौल एवं पबनावा से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महोत्सव में पहुंचे और प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए सनातन संस्कृति की गहराइयों को समझा। स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को वेद-आधारित ,
जीवन शैली, गुरुकुल शिक्षा के मूल सिद्धांतों तथा समाज में इसके प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रदर्शनी के माध्यम से आयोजकों ने युवाओं और आगंतुकों में भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के प्रति नई जागरूकता और गर्व की भावना जगाने का संदेश दिया। अध्यक्ष बलिंदर आर्य ने कहा कि युवा पीढ़ी का सनातन संस्कृति से जुड़ाव न केवल सांस्कृतिक ,
पुनरुत्थान का संकेत है, बल्कि यह भारत को भविष्य की ओर अग्रसर करते हुए उसकी जड़ों को मजबूत रखने का भी प्रतीक है। यदि यही गति बनी रही, तो आने वाले वर्षों में भारतीय संस्कृति वैश्विक स्तर पर और भी सशक्त रूप में उभरेगी। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक जीवन पद्धति है जो मन, ,
शरीर और समाज के संतुलन पर आधारित है। योग, ध्यान, संयम, करुणा, पर्यावरण-संरक्षण और परिवार जैसी अवधारणाएं युवाओं को स्थिरता और सकारात्मकता प्रदान कर रही हैं। आज के कार्यक्रम का शुभारंभ गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज जी ने अपने कर-कमलों द्वारा किया। इस अवसर पर कौल गांव के सरपंच नरेश कुमार, मा. धर्मवीर ,
सागवाल, बलजीत आर्य, कृष्ण कुमार, रघुवीर सिंह, राजवीर सिंह, जोगिंद्र सिंह, सुरेश कुमार, महाबीर सिंह सहित दोनों गांवों से अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

