Saturday, December 6, 2025
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एक राष्ट्र, एक चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली को नई दिशा देने वाला प्रस्ताव : पूर्व न्यायाधीश

मंदसौर, 22 अगस्त । एक राष्ट्र एक चुनाव की प्रारंभिक प्रस्तावना को लेकर रिटायर्ड
हाईकोर्ट न्यायाधीश रोहित आर्या ने शुक्रवार को मंदसौर जिला भाजपा कार्यालय मंदसौर पर पत्रकार
वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान सांसद सुधीर गुप्ता, राज्यसभा सांसद बंशीलाल गुर्जर, भाजपा
जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित, पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया, नगरपालिका अध्यक्ष रमादेवी गुर्जर,

एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यक्रम के जिला प्रभारी एंव भाजपा जिला कोषाध्यक्ष राजु चावला उपस्थित थे।
पूर्व न्यायाधीश रोहित आर्या ने कहा की भारत की राजनीतिक चर्चा में हाल के वर्षों में एक राष्ट्र, एक
चुनाव की अवधारणा एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरकर सामने आई है। इस प्रस्ताव का
उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक ही दिन आयोजित करना है, जिससे

चुनावी प्रक्रिया में निरंतरता, एकरूपता और पारदर्शिता स्थापित हो सके। इस पहल का सबसे बड़ा
लाभ वित्तीय बचत है। अलग-अलग समय पर चुनाव कराने में होने वाले खर्च का चुनावी प्रचार, सुरक्षा
व्यवस्था, मतपत्र छपाई और ईवीएम की व्यवस्था में भारी कटौती की जा सकती है। बचाए गए इन
संसाधनों को स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में उपयोग किया जा

सकेगा। राजनीतिक दलों के लिए भी यह व्यवस्था उपयोगी सिद्ध हो सकती है। एकीकृत मंच पर
दल अपने नीतिगत एजेंडे को स्पष्टता से प्रस्तुत करेंगे, जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और सहयोग को
प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं, मतदाताओं के लिए एक ही दिन मतदान की सुविधा उन्हें बार-बार चुनावों से

जुड़ी असुविधाओं से राहत देगी और लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा देगी। इतिहास में चुनावी
प्रक्रियाओं में कई सुधार हुए हैं और आज की आधुनिक तकनीक इस मॉडल को और भी व्यवहारिक बनाती है।

श्री आर्या ने कहा की इससे सरकारों को स्थिर और पाँच वर्ष का स्पष्ट कार्यकाल मिलेगा, जिससे वे
चुनावी दबाव से मुक्त होकर नीतिगत सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। प्रशासनिक दृष्टिकोण से
भी यह प्रस्ताव लाभकारी है। एक ही दिन में मतदान और मतगणना होने से केंद्रीय व राज्य सरकारों
के बीच बेहतर तालमेल स्थापित होगा और प्रशासनिक कार्यकुशलता में वृद्धि होगी। राजनीतिक और

सामाजिक दृष्टि से भी एक राष्ट्र, एक चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली को सुदृढ़ करने वाला कदम माना
जा रहा है। यह व्यवस्था न केवल शासन में पारदर्शिता लाएगी बल्कि नागरिकों और सरकार के बीच
विश्वास को भी मजबूत करेगी। अंतत: यह पहल भारत को एक स्थिर, पारदर्शी और सशक्त लोकतंत्र
की ओर अग्रसर करने वाला कदम है, जो विविधता में एकता की भावना को और अधिक मजबूत
बनाता है।

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