Saturday, December 6, 2025
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रचनात्मकता भारत की विकास यात्रा का प्रमुख स्तंभ है : आशीष सूद

नई दिल्ली, 15 नवंबर । रचनात्मकता भारत की प्रगति का मूल आधार है और यही शक्ति
देश को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर अग्रसर कर रही है। उक्त बातें दिल्ली सरकार के
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्ट्स के दीक्षांत समारोह के

अवसर पर कही। उन्होंने आगे कहा कि यह समारोह केवल डिग्रियां देने का अवसर नहीं, बल्कि छात्रों
की कल्पनाशीलता, साधना और निरंतर परिश्रम का उत्सव है। समारोह में बीएफए के लिए 227,
एमएफए के लिए 47 तथा तीन विशेष प्रतिभागियों को उपाधियां प्रदान की गईं। शिक्षा मंत्री ने कॉलेज
प्रशासन और संकाय को उत्कृष्ट कार्यों के लिए शुभकामनाएं भी दीं।

शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि रचनात्मकता किसी भी सभ्यता की जीवन-शक्ति होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट किया है कि सामग्री, रचनात्मकता और संस्कृति ये तीनों भारत
की विकास यात्रा के महत्वपूर्ण आधार हैं। इस धुरी को उन्होंने नारंगी अर्थव्यवस्था कहा है और इसके

वास्तविक संवाहक आप हैं। उन्होंने कहा कि देश के युवा कलाकार, डिजाइनर, शिल्पकार,
छायाचित्रकार और भविष्य के रचनात्मक नेतृत्वकर्ता हैं। सूद ने कहा कि शिल्प परंपरा की बुनियाद
पदार्थ, प्रक्रिया, उपयोगिता, सौंदर्यबोध और विचार इन पांच तत्त्वों पर टिकी है और यही तत्व किसी

भी रचनात्मक साधना की दिशा तय करते हैं। कला एक क्षणिक निर्णय नहीं, बल्कि जीवनभर चलने
वाली साधना है। प्रत्येक कला-कृति किसी अनुभूति, नगर, परंपरा या स्मृति की ओर मार्ग खोलती है।
उन्होंने कॉलेज ऑफ आर्ट्स के योगदान को याद करते हुए कहा कि 1942 में स्थापित यह संस्थान

भारतीय कला जगत को दशकों से दिशा दे रहा है। बीएफए, एमएफए और पीएचडी तक विस्तृत
पाठ्यक्रमों के माध्यम से यह संस्थान एक सशक्त कल्पना-परिसर तैयार कर रहा है, जो विद्यार्थियों
को सृजनशीलता की नई उड़ान देता है। सूद ने कहा कि डिजिटल समय में कला व्यक्ति को केंद्रित,

संतुलित और एकाग्र बनाती है। लंबे समय तक भारतीय कला और शिल्प वैश्विक बाज़ारों से दूर रहे,
लेकिन अब यह दूरी समाप्त हो रही है। विकसित भारत 2047 की दिशा में रचनात्मक अर्थव्यवस्था
एक प्रमुख शक्ति बनकर उभर रही है और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को गति दे रही है।

उन्होंने कहा कि युवाओं की रचनात्मक निष्ठा ही भारत की सांस्कृतिक आत्मविश्वास बनेगी और
उनकी कल्पनाशक्ति वैश्विक पहचान को मजबूती देगी। दिल्ली 2047 के दृष्टिकोण का उल्लेख करते
हुए उन्होंने युवाओं से देशनिर्माण का संकल्प साझा करने की अपील की।

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