Saturday, December 6, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeनई ‎दिल्लीडीयू के अफ्रीकी अध्ययन विभाग का प्लैटिनम जुबली स्थापना दिवस समारोह आयोजित

डीयू के अफ्रीकी अध्ययन विभाग का प्लैटिनम जुबली स्थापना दिवस समारोह आयोजित

20 से अधिक अफ्रीकी देशों के उच्चायुक्त, राजदूत, दूतावास प्रतिनिधि और राजनयिक अधिकारीगण रहे मौजूद

नई दिल्ली, 06 अगस्त। दिल्ली विश्वविद्यालय के अफ्रीकी अध्ययन विभाग ने अपनी
70वीं वर्षगांठ पूर्ण करते हुए प्लैटिनम जुबली स्थापना दिवस समारोह का आयोजन 6 अगस्त को
किया गया। इस भव्य आयोजन में, भारत और अफ्रीका से 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भागीदारी

की जिनमें राजनयिक, विद्वान, सार्वजनिक विचारक, शोधार्थी, और विश्वविद्यालय समुदाय के सदस्य
शामिल थे। डीयू के शंकर लाल हाल में आयोजित इस समारोह में भारत में मोज़ाम्बिक के उच्चायुक्त
एवं अफ्रीकी राजनयिक समूह के डीन एच.ई. एर्मिंडो ऑगस्टो फरेइरा, भारतीय सांस्कृतिक संबंध

परिषद (आईसीसीआर) की महानिदेशक श्रीमती के. नंदिनी सिंगला, डीयू के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन
विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर नीरा अग्निमित्रा और डीयू सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष एवं पीआरओ
अनूप लाठर बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।

इनके अतिरिक्त 20 से अधिक अफ्रीकी देशों के उच्चायुक्त, राजदूत, दूतावास प्रतिनिधि और
राजनयिक अधिकारीगण भी इस अवसर पर उपस्थित रहे, जिनमें तंजानिया, सूडान, माली,
इथियोपिया, इरीट्रिया, गांबिया, सेशेल्स, दक्षिण अफ्रीका, युगांडा, मॉरिशस, बुर्किना फासो, टोगो,
लीबिया, अल्जीरिया, गिनी, चाड, अंगोला तथा केप वर्डे जैसे देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित थे। इस

आयोजन ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत-अफ्रीका संबंध केवल रणनीति या व्यापार तक सीमित
नहीं, बल्कि ज्ञान, शिक्षा, संस्कृति और शोध के स्थायी निवेश पर आधारित होने चाहिए। यह
कार्यक्रम इस समझ को नई ऊर्जा और प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाने का मंच बना। इस समारोह में
विभाग के वरिष्ठ संकाय सदस्य, शोध छात्र तथा विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से जुड़े

प्रोफेसरगण भी उपस्थित रहे, जिन्होंने भारत-अफ्रीका संबंधों पर गहन विमर्श को आगे बढ़ाया।
गौरतलब है कि यह विभाग वर्ष 1955 में उस समय स्थापित हुआ था जब भारत नवस्वतंत्र था और
अफ्रीका उपनिवेशवाद से संघर्ष कर रहा था। उस ऐतिहासिक क्षण में, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा
अफ्रीकी अध्ययन विभाग की स्थापना केवल सद्भावना का संकेत नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी सभ्यतागत

निवेश था। अफ्रीकी अध्ययन विभाग, जिसने सात दशकों तक वैश्विक दक्षिण में भारत की बौद्धिक
भागीदारी को आकार दिया, आज एक नए युग में प्रवेश कर चुका है — जहां भारत और अफ्रीका
मिलकर जलवायु परिवर्तन, वैश्विक सहयोग, और बहुपक्षीय सुधार जैसे मुद्दों पर साझा नेतृत्व कर रहे हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments