मुख्यमंत्री का विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह: ‘फांसी घर’ बोर्ड हटाया जाए, एफआईआर भी दर्ज करवाई जाए
नई दिल्ली, 06 अगस्त । दिल्ली विधानसभा के सदन में आज मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा
गुप्ता ने पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विधानसभा भवन के एक हिस्से को “फांसी घर” बताने के दावे को
सिरे से खारिज करते हुए इसे इतिहास के साथ खिलवाड़, शहीदों का अपमान और जनता के साथ धोखा करार दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता की भावनाओं से खेलते हुए और
सहानुभूति बटोरने के लिए बिना किसी प्रमाण, दस्तावेज या ऐतिहासिक आधार के विधानसभा भवन
के एक हिस्से को “फांसी घर” घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि वह शुरुआत से ही कैलकुलेटिव ढंग
से राजनीति करते रहे— हर हावभाव, हर पहनावा, हर नाटक किसी उद्देश्य से किया गया। ईमानदारी,
देशभक्ति और त्याग का दिखावा कर जनता को गुमराह किया गया, जबकि असलियत में यह सब एक स्क्रिप्टेड ड्रामा था।
मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए बताया कि यह भवन वर्ष 1912 में बना और वर्ष
1913 से 1926 तक यहां इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल की बैठकें हुईं। जिस हिस्से को ‘फांसी घर’
बताया गया, वह दरअसल ब्रिटिश काल में अंग्रेज अफसरों के लिए बनाई गई सर्विस सीढ़ियां थीं,
जिनका इस्तेमाल टिफिन सर्विस और अन्य कार्यों के लिए होता था। जबकि वास्तविक में पुरानी
दिल्ली की जेल मौलाना आजाद कॉलेज परिसर में थी और वहीं फांसी की सज़ा दी जाती थी। उन्होंने
कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना केवल जनता को भ्रमित करने के लिए नहीं, बल्कि
शहीदों की कुर्बानी का भी अपमान है। जिस भवन में संविधान की गरिमा के अनुरूप कानून बनाए
जाते हैं, उसी के दर-ओ-दीवार पर झूठ लिख देना अक्षम्य अपराध है।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता व सदन से आग्रह किया कि विधानसभा भवन में
लगाए गए “फांसी घर” संबंधी भ्रामक बोर्ड को तुरंत हटाया जाए। उन्होंने कहा कि यह कदम विशेष
रूप से 24-25 अगस्त को प्रस्तावित ऑल इंडिया स्पीकर कॉन्फ्रेंस से पहले अनिवार्य है, ताकि देशभर
से आने वाले माननीय स्पीकरों को झूठा इतिहास न दिखाया जाए और दिल्ली विधानसभा की
प्रतिष्ठा बनी रहे। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस झूठे प्रचार अभियान पर जनता के करदाताओं
का लगभग 1 करोड़ रुपये खर्च किए गए। उन्होंने इसकी वसूली सुनिश्चित करने, संबंधित लोगों के
खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और एक विस्तृत जांच बिठाने की भी मांग की।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए स्क्रिप्टेड नाटक,
भावनात्मक ड्रामा और झूठ का सहारा लिया, जिस पर लगभग एक करोड़ जनता का पैसा विज्ञापनों
और प्रचार पर खर्च हुआ। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक नाटक नहीं, बल्कि दिल्ली की
जनता के विश्वास के साथ खुला धोखा है। लेकिन हमारी सरकार की ज़िम्मेदारी है कि हम सत्य को
सामने लाएं और इस ऐतिहासिक भवन की गरिमा को सच्चाई के साथ सुरक्षित रखें।

