नई दिल्ली, 02 सितंबर । फरवरी 2020 के दंगों के पीछे साजिश से जुड़े गैरकानूनी
गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में पांच साल से जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र
शरजील इमाम, उमर खालिद सहित अन्य की जमानत याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की पीठ ने मामले पर अपना फैसला सुनाया।
इनके अलावा अदालत अब्दुल खालिद, अतहर खान, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, मीरान
हैदर, गुलफिशा फातिमा, शादाब अहमद की जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे में मारे गए थे 53 लोग
उल्लेखनीय है कि इससे पहले, नौ जुलाई को अदालत ने अभियोजन व बचाव पक्षों की दलीलों को
सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। सीएए-एनआरसी के विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में 53 लोग मारे गए थे, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
9 जुलाई को अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा था कि यह
स्वतःस्फूर्त दंगों का मामला नहीं है, बल्कि एक ऐसा मामला है जिसमें दंगों की योजना पहले से ही
एक भयावह मकसद और सोची-समझी साजिश के साथ बनाई गई थी।
कब हुई थी शरजील और खालिद की गिरफ्तारी?
बता दें कि आरोपितों के खिलाफ यूएपीए व भारतीय दंड संहिता के प्रविधानों के तहत फरवरी 2020
के दंगों के कथित रूप से मास्टरमाइंड होने का मामला दर्ज किया गया था। इमाम को इस मामले में
25 अगस्त 2020 को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था।
उधर, दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि यह
वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने की साजिश थी और केवल लंबी कैद जमानत देने का
आधार नहीं है। वहीं, शरजील इमाम व उमर खालिद ने लंबे समय से जेल में बंद होने व अन्य
आरोपितों की तरह समानता के आधार पर जमानत की मांग की थी।

