नई दिल्ली, 23 सितंबर । गरीबी उन्मूलन को बढ़ावा देने के लिए अब्दुल लतीफ जमील
पावर्टी एक्शन लैब (जे-पैल) साउथ एशिया और द-नज इंस्टीट्यूट ने मंगलवार को एक नई साझेदारी
की घोषणा की है। दोनों संगठन भारत में “ग्रेजुएशन ऐप्रोच” मॉडल को तेजी से लागू करने के लिए
मिलकर काम करेंगे, जो विश्व स्तर पर अत्यधिक गरीब परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने में सफल सिद्ध हुआ है।
इस पहल का लक्ष्य सरकारी सहयोग, क्षमता निर्माण और साक्ष्य-आधारित शोध के माध्यम से भारत
में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को मजबूत करना है। द-नज इंस्टीट्यूट असम, त्रिपुरा, मेघालय, पश्चिम
बंगाल, राजस्थान और झारखंड में ग्रामीण आजीविका मिशनों को इस मॉडल को अपनाने में सहायता
करेगा, जबकि मध्य प्रदेश भी इसे लागू करने की तैयारी में है।
जे-पैल साउथ एशिया डेटा-आधारित अनुकूलन और मूल्यांकन सुनिश्चित करेगा। “ग्रेजुएशन ऐप्रोच” दो
वर्षीय समग्र सहायता पैकेज है। जिसमें गरीब परिवारों को उत्पादक संपत्ति, तकनीकी प्रशिक्षण,
उपभोग सहायता, बचत सुविधा, नियमित घरेलू दौरे और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। शोध से
साबित हुआ है कि इस मॉडल से आय, बचत और जीवनस्तर में स्थायी सुधार होता है।
नीति आयोग की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 19.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी
में जी रहे हैं। ऐसे में यह मॉडल महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह साझेदारी ग्रामीण विकास
मंत्रालय के “समावेशी आजीविका कार्यक्रम” के तहत काम करेगी, जिसका उद्देश्य प्रमाणित समाधानों
को बड़े पैमाने पर लागू करना है। “इंडिया स्केल-अप समिट 2025” में इस साझेदारी को औपचारिक रूप दिया गया।
विशेषज्ञों ने जोर दिया कि सरकार, नागरिक समाज और शोध संस्थानों के सहयोग से गरीब परिवार
अपनी स्थिति बदल सकते हैं। यह पहल भारत के गरीबी उन्मूलन प्रयासों में एक नया अध्याय शुरू
करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

