Saturday, December 6, 2025
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किसानों की समस्याओं के निपटारे की समय सीमा तय हो : शिवराज सिंह चौहान

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने
कहा है कि कृषि क्षेत्र से जुड़ी सभी शिकायतें एकीकृत मंच पर दर्ज हों और उनके निस्तारण की

स्पष्ट समय-सीमा तय की जाए, ताकि किसान लंबे समय तक समाधान की प्रतीक्षा में न रहें। कृषि
भवन, नई दिल्ली में आयोजित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में उन्होंने निर्देश दिया कि जब तक
शिकायतकर्ता किसान की संतुष्टि प्राप्त न हो, तब तक किसी भी मामले को बंद न माना जाए;

आवश्यक होने पर पुनर्विचार और दोबारा जांच की प्रक्रिया अपनाई जाए।
बैठक में उर्वरक, बीज, कीटनाशक, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पीएम किसान पोर्टल से
संबंधित शिकायतों की श्रेणीवार समीक्षा की गई। अधिकारियों ने अवगत कराया कि कीटनाशक से जुड़े

150 मामलों में 120 पर कार्रवाई की गई है, 11 में प्राथमिकी दर्ज हुई, 8 मामलों में संबंधित
कंपनियों के लाइसेंस निरस्त किए गए और 24 मामलों में किसानों को मुआवजा प्रदान किया गया।

मंत्री ने कहा कि शिकायत के निस्तारण के बाद किसानों से दूरभाष पर अनिवार्य रूप से प्रतिक्रिया ली
जाए; असंतुष्ट पाए जाने पर प्रकरण पुनः खोला जाए।
केंद्रीय मंत्री ने निर्देश दिए कि अलग-अलग मंचों के स्थान पर शिकायतों के लिए एक समेकित

डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया जाए, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही और समयबद्धता सुनिश्चित
हो। अधिक शिकायत वाले तथा धीमी कार्रवाई करने वाले राज्यों को सूचीबद्ध कर अगली समीक्षा में
शामिल किया जाएगा, वहीं उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्यों और अधिकारियों का सम्मान कर

प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार राज्यों के नोडल अधिकारी प्रतिदिन कम-से-कम दस
किसानों से सीधे प्रतिक्रिया भी लेंगे।

रूपरेखा पर भी बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि नकली या घटिया उर्वरक, बीज और कीटनाशक के
विरुद्ध ज़ीरो-टॉलरेंस अपनाया जाएगा, और गुणवत्ता, उपलब्धता, मूल्य तथा नैनो यूरिया टैगिंग जैसे
मुद्दों पर श्रेणीवार निगरानी तेज की जाएगी। आवश्यक वस्तु और गुणवत्ता मानकों के उल्लंघन पर

लाइसेंस निरस्तीकरण, दंड तथा आपराधिक कार्रवाई सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए।
कृषि विज्ञान केंद्रों पर केन्द्रीय विमर्श में मंत्री ने कहा कि देश के 731 केवीके किसानों तक तकनीक
और नवाचार पहुँचाने का सबसे प्रभावी माध्यम हैं; इन्हें अधिक सशक्त, तकनीकी रूप से सक्षम और

किसानोन्मुखी बनाया जाए। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को निर्देशित किया गया कि केवीके को
पर्याप्त वित्त, योग्य मानव संसाधन और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाए, साथ ही वैज्ञानिकों
की योग्यता के अनुरूप पदोन्नति, अकादमिक समता और सेवानिवृत्ति लाभ की व्यवस्थाएँ सुदृढ़ हों।

केवीके में प्राकृतिक खेती, एकीकृत कृषि पद्धति और कृषि उद्यमिता के लिए मॉडल इकाइयाँ
विकसित करने पर भी जोर दिया गया।
बैठक में यह सहमति बनी कि शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए समय-सीमा निर्धारण के साथ

प्रक्रियात्मक सरलता बढ़ाई जाए। मंत्री ने कहा कि किसानों की समस्याओं के प्रति प्रशासनिक
संवेदनशीलता सबसे बड़ा मानक है; लक्ष्य है कि हर शिकायत का समाधान स्पष्ट उत्तरदायित्व,
निर्धारित समय और संतुष्टि-प्रमाणीकरण के साथ हो। उन्होंने राज्यों, नीति आयोग और वित्तीय
संस्थाओं के साथ समन्वय बढ़ाकर किसान हितैषी तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता
रेखांकित की।

व्यावहारिक परिप्रेक्ष्य में, मंत्रालय का फोकस तीन बिंदुओं पर केंद्रित है—एकीकृत शिकायत मंच,
समयबद्ध निस्तारण और संतुष्टि-आधारित समापन। इसके साथ ही प्रवर्तन, गुणवत्ता नियंत्रण और
केवीके–आधारित विस्तार सेवाओं को सुदृढ़ कर खेत–स्तर तक समाधान पहुँचाने का रोडमैप लागू किया

जाएगा। किसानों को परामर्श है कि हर खरीद पर बिल लें, संदेहास्पद उत्पाद की सूचना तत्काल
स्थानीय कृषि कार्यालय को दें, और पोर्टल/हेल्पलाइन से दर्ज शिकायत की स्थिति का क्रमिक
अनुकरण करें, ताकि अधिकार-संरक्षित निस्तारण सुनिश्चित हो सके।

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