इंडिया गौरव, राहुल सीवन। त्रयोदशी के पावन अवसर पर प्रसिद्ध संत छवि रामदास ने व्रत की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है और जो भी श्रद्धालु इस दिन व्रत रखकर भगवान शिवजी की पूजा करता है, उसे आत्मिक शांति व जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है ।उन्होंने कहा कि त्रयोदशी पर विशेषकर प्रदोष व्रत
का विशेष महत्व है जो सोमवार को हो तो इसका पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। संत ने बताया कि इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को दिनभर उपवास रखकर संध्या के समय भगवान शंकर का पूजन, अभिषेक, दीप प्रज्वलित और शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए। यह व्रत नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है। संत छवि
रामदास जी ने श्रद्धालुओं को आह्वान किया कि वे इस अवसर पर अपने भीतर ईश्वर के प्रति आस्था, संयम और करुणा को जाग्रत करें। उन्होंने बताया कि त्रयोदशी व्रत करने वाले को पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के उपरांत शिवलोक की प्राप्ति होती है। संत ने कहा कि यह व्रत न केवल धर्म का प्रतीक है, बल्कि जीवन शैली को सात्विक और अनुशासित
बनाने का माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि भक्ति में ही शक्ति है और त्रयोदशी व्रत उसका सशक्त माध्यम है। उन्होंने श्रद्धालुओं को शिव पुराण के व्रत नियमों का पालन करते हुए पूजा करने की सलाह दी ।उन्होंने यह भी कहा कि शिव अराधना से संकट दूर होते हैं और दिल को शांति मिलती है ।संत छवि रामदास ने बताया कि त्रयोदशी पर उपवास रखने से व्यक्ति
अपने क्रोध, लोभ, मोह जैसी वृत्तियों पर विजय प्राप्त कर सकता है और जीवन को ईश्वरमय बना सकता है। उन्होंने बताया कि त्रयोदशी पर शिव परिवार की अराधना अत्यंत कल्याणकारी होती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। संत ने अंत में सभी को इस पावन दिन की शुभकामनाएं दी और भगवान शिव कृपा की कामना की।

