कहा : विभाग और सरकार को नहीं समझ न्यूनतम वेतन और मूल वेतन का अंतर
कैथल । हरियाणा में होमगार्ड जवानों के साथ सरकार और विभाग द्वारा न्याय नहीं किया जा रहा है। होमगार्ड जवानों से पुलिस सिपाहियों की तरह ड्यूटी ली जाती है, लेकिन जब बात वेतन की आती है तो उन्हें ना तो न्यूनतम वेतन दिया जाता है और ना ही रैंक के अनुसार मूल वेतन की कोई गारंटी होती है। यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में हरियाणा होमगार्ड वेलफेयर
एसोसिएशन के संयोजक संदीप शर्मा ने कहा कि वर्तमान में होम गार्ड से 300 प्रति माह की कटौती की जा रही है, जबकि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इसके बदले में उन्हें कौन से लाभ दिए जाएंगे। दूसरी ओर उन्हें पुलिस सिपाही के बराबर जोखिम और कर्तव्य निभाने होते हैं, लेकिन सिर्फ मानदेय देकर उन्हें अस्थायी श्रमिक माना जाता है। होमगार्ड जवानों को सेवा के अंत में केवल एक औपचारिक धन्यवाद पत्र थमा दिया जाता है। यह उनके साथ मजाक नहीं बल्कि अपमान है। सरकार खुद यह तय नहीं कर पा रही कि होमगार्ड स्वयंसेवक हैं
या सरकारी कर्मचारी। न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत कोई सुनिश्चित वेतन नहीं। पेंशन, बीमा, मेडिकल और अन्य स्थायी लाभ नहीं। समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है। उन्होंने मांग की कि होमगार्ड को नियमित कर्मचारी के समान सम्मानजनक दर्जा दिया जाए, न्यूनतम वेतन अधिनियम के अनुसार वेतन और भत्ते सुनिश्चित किए जाएं।₹300 रुपए माह की कटौती का स्पष्ट उपयोग और लाभ बताया जाए। सेवा सुरक्षा, बीमा, पेंशन एवं अन्य कल्याणकारी योजनाएं लागू हों

