दलित संगठनों में भारी रोष, लघु सचिवालय में की नारेबाजी चेतावनी : अगर न्याय नहीं मिला तो होगा मुख्यमंत्री निवास का घेराव
कैथल । सीवन में एक दलित महिला के साथ पुलिस द्वारा कथित बर्बरता के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले को लेकर दलित संगठनों और सर्व कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को लघु सचिवालय में पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने पीडि़ता को न्याय दिलाने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
की। आपको बता देते हैं कि तीन दिन पूर्व सीवन में एक दलित महिला के साथ पुलिस द्वारा मारपीट का मामला सामने आया था। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उसके साथ बर्बरता की। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने विशेष जांच दल का गठन किया है। डीएसपी हैडक्वार्टर बीरभान ने बताया कि एसआईटी इस मामले की गहन जांच कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने महिला के साथ हुई बर्बरता की कड़ी निंदा करते हुए पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि पीडि़ता को न्याय दिलाने में पुलिस प्रशासन नाकाम
रहा है। नारेबाजी के बाद प्रदर्शनकारियों का एक डेलिगेशन एसपी आस्था मोदी से मिला। मुलाकात के बाद डेलिगेशन ने मीडिया से बातचीत में अपनी नाराजगी जाहिर की। डेलिगेशन के सदस्यों ने कहा कि हम पुलिस की कार्रवाई से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। उच्च अधिकारी अपने कर्मचारियों को बचाने में लगे हैं। जब पीडि़त महिला मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों को पहचानती है, तो फिर अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला क्यों दर्ज किया गया है।
धरना-प्रदर्शन और मुख्यमंत्री निवास घेराव की चेतावनी
डेलिगेशन ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि अगर अगले तीन-चार दिनों में पीडि़ता को न्याय नहीं मिला तो वे बड़े स्तर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने की भी बात कही। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए और मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो। हालांकि
पुलिस प्रशासन ने एसआईटी के गठन की बात कहकर मामले की जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का मानना है कि यह कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। पीडि़ता और उसके परिजनों को अभी तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
प्रकरण ने दिया बड़े विवाद को जन्म
ममता प्रकरण ने कैथल में सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। दलित सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों की नजर अब पुलिस प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी है। अगर समय रहते इस मामले का निपटारा नहीं हुआ, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है। इस मामले में पुलिस प्रशासन और सरकार की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। फिलहाल पीडि़ता को न्याय दिलाने की मांग जोर पकड़ रही है।

