Saturday, December 6, 2025
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सरकार की गरीबोन्मुखी नीतियों के पीछे है नारायण गुरू की प्रेरणा : मोदी

नई दिल्ली, 24 जून । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्नाटक के शिवगिरी मठ के संत
नारायण गुरू को विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों के लिए ऊर्जा का बड़ा स्रोत बताया है और कहा
है कि समाज के शोषित-पीड़ित-वंचित वर्ग के लिए उनकी सरकार के हर निर्णय के पीछे उनकी शिक्षाओं को याेगदान है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां विज्ञान भवन में आध्यात्मिकता और नैतिकता का पालन करने
वाले भारत के दो महानतम नेताओं श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच ऐतिहासिक संवाद के
शताब्दी समारोह को संबोधित किया। इस मौके पर ब्रह्मर्षि स्वामी सच्चिदानंद, श्रीमठ स्वामी शुभंगा-
नंदा, स्वामी शारदानंद, केन्द्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन जी, सांसद अडूर प्रकाश भी मौजूद थे।

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज ये परिसर देश के इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना को
याद करने का साक्षी बन रहा है। एक ऐसी ऐतिहासिक घटना, जिसने न केवल हमारे स्वतन्त्रता
आंदोलन को नई दिशा दी, बल्कि स्वतन्त्रता के उद्देश्य को, आज़ाद भारत के सपने को ठोस मायने
दिये। सौ साल पहले श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी की वो मुलाकात, आज भी उतनी ही प्रेरक है,
उतनी ही प्रासंगिक है। वो मुलाकात, सामाजिक समरसता के लिए, विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों
के लिए, आज भी ऊर्जा के बड़े स्रोत की तरह है।

मोदी ने कहा कि श्रीनारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं। जो लोग देश
और समाज की सेवा के संकल्प पर काम करते हैं, श्रीनारायण गुरु उनके लिए प्रकाश स्तंभ की तरह
हैं। समाज के शोषित-पीड़ित-वंचित वर्ग से मेरा करीबी नाता है। इसलिए आज भी वह जब समाज के
शोषित, वंचित वर्ग के लिए बड़े निर्णय लेते हैं तो वह गुरुदेव को जरूर याद करते हैं। उन्हाेंने कहा
कि सौ साल पहले के वो सामाजिक हालात, सदियों की गुलामी के कारण आईं विकृतियाँ, लोग उस

दौर में उन बुराइयों के खिलाफ बोलने से डरते थे। लेकिन, श्रीनारायण गुरु ने विरोध की परवाह नहीं
की, वो कठिनाइयों से नहीं डरे, क्योंकि उनका विश्वास समरसता और समानता में था। उनका
विश्वास सत्य, सेवा और सौहार्द में था। यही प्रेरणा हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ का रास्ता
दिखाती है। यही विश्वास हमें उस भारत के निर्माण के लिए ताकत देता है, जहां अंतिम पायदान पर

खड़ा व्यक्ति हमारी पहली प्राथमिकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “शिवगिरी मठ से जुड़े लोग और संतजन भी जानते हैं कि श्रीनारायण गुरु में और
शिवगिरी मठ में मेरी कितनी अगाध आस्था रही है। मैं भाषा तो नहीं समझ पा रहा था, लेकिन पूज्य
सच्चिदानंद जी जो बातें बता रहे थे, वो पुरानी सारी बातें याद कर रहे थे। और मैं भी देख रहा था

कि उन सब बातों पर आप बड़े भाव विभोर होकर के उसके साथ जुड़ जाते थे। और मेरा सौभाग्य है
कि मठ के पूज्य संतों ने हमेशा मुझे अपना स्नेह दिया है। मुझे याद है, 2013 में, तब तो मैं
गुजरात में मुख्यमंत्री था, जब केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा आई थी, तब शिवगिरी मठ के कई
पूज्य संत वहाँ फंस गए थे, कुछ भक्त जन भी फंस गए थे। शिवगिरी मठ ने वहाँ फंसे लोगों को
सुरक्षित निकालने के लिए भारत सरकार को संपर्क नहीं किया था, शिवगिरी मठ ने मुझे आदेश दिया

और इस सेवक पर भरोसा किया, कि भई ये काम तुम करो। और ईश्वर की कृपा से सभी संत सभी
भक्तजन को सुरक्षित मैं ला पाया था।”
उन्होंने कहा, “मुझे भारत की आध्यात्मिक परंपरा, ऋषियों-मुनियों की विरासत, उसे करीब से जानने
और जीने का सौभाग्य मिला है। भारत की ये विशेषता है कि हमारा देश जब भी मुश्किलों के भंवर

में फँसता है, कोई न कोई महान विभूति देश के किसी कोने में जन्म लेकर समाज को नई दिशा
दिखाती है। कोई समाज के आध्यात्मिक उत्थान के लिए काम करता है। कोई सामाजिक क्षेत्र में
समाज सुधारों को गति देता है। श्रीनारायण गुरु ऐसे ही महान संत थे। निवृत्ति पंचकम्’ और
‘आत्मोपदेश शतकम्’ जैसी उनकी रचनाएँ, ये अद्वैत और आध्यात्म के किसी भी स्टूडेंट के लिए

गाइड की तरह हैं। योग और वेदान्त, साधना और मुक्ति श्रीनारायण गुरु के मुख्य विषय थे। लेकिन,
वो जानते थे कि कुरीतियों में फंसे समाज का आध्यात्मिक उत्थान उसके सामाजिक उत्थान से ही
संभव होगा। इसलिए उन्होंने आध्यात्म को समाज-सुधार और समाज-कल्याण का एक माध्यम
बनाया। और श्रीनारायण गुरु के ऐसे प्रयासों से गांधी जी ने भी प्रेरणा पाई, उनसे मार्गदर्शन लिया।

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे विद्वानों को भी श्रीनारायण गुरु से चर्चा का लाभ मिला।”
उन्होंने कहा कि एक बार किसी ने श्रीनारायण गुरु की आत्मोपदेश शतकम् रमण महर्षि जी को सुनाई
थी। उसे सुनकर रमण महर्षि जी ने कहा था- “अवर एल्लाम तेरीन्जवर “। यानी- वो सब कुछ जानते
हैं! और उस दौर में, जब विदेशी विचारों के प्रभाव में भारत की सभ्यता, संस्कृति और दर्शन को नीचा

दिखाने के षड्यंत्र हो रहे थे, श्रीनारायण गुरु ने हमें ये अहसास कराया कि कमी हमारी मूल परंपरा में
नहीं है। हमें अपने आध्यात्म को सही अर्थों में आत्मसात करने की जरूरत है। हम नर में श्रीनारायण
को, जीव में शिव को देखने वाले लोग हैं। हम द्वैत में अद्वैत को देखते हैं। हम भेद में भी अभेद
देखते हैं। हम विविधता में भी एकता देखते हैं।
उन्होंने कहा कि श्रीनारायण गुरु का मंत्र था- “ओरु जाति, ओरु मतम्, ओरु दैवम्, मनुष्यनु।” यानी,

पूरी मानवता की एकता, जीव मात्र की एकता! ये विचार भारत की जीवन संस्कृति का मूल है, उसका
आधार है। आज भारत उस विचार को विश्व कल्याण की भावना से विस्तार दे रहा है। अभी हाल ही
में हमने विश्व योग दिवस मनाया। इस बार योग दिवस की थीम थी- एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के
लिए योग, यानी, एक धरती, एक स्वास्थ्य! इसके पहले भी भारत ने विश्व कल्याण के लिए एक

विश्व, एक स्वास्थ्य जैसा पहल शुरू किया है। आज भारत सतत विकास की दिशा में एक सूर्य, एक
पृथ्वी, एक ग्रिड जैसे वैश्विक आंदोलन का भी नेतृत्व कर रहा है। आपको याद होगा, 2023 में भारत
ने जब जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया था, हमने उसकी भी थीम रखी थी- एक पृथ्वी,
एक परिवार, एक भविष्य।’ हमारे इन प्रयासों में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना जुड़ी हुई है। सब में

श्रीनारायण गुरु जैसे संतों की प्रेरणा जुड़ी हुई है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “श्रीनारायण गुरु ने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की थी- जो भेदभाव से मुक्त
हो! मुझे संतोष है कि आज अपना देश कोई बाकी नहीं रह जाये के रुख पर चलते हुए भेदभाव की
हर गुंजाइश को खत्म कर रहा है। आप 10-11 साल पहले के हालात को याद करिए, आज़ादी के

इतने दशक बाद भी करोड़ों देशवासी कैसा जीवन जीने को मजबूर थे? करोड़ों परिवारों के सिर पर
छत तक नहीं थी! लाखों गांवों में पीने का साफ पानी नहीं था, छोटी-छोटी बीमारी में भी इलाज
कराने का विकल्प नहीं, गंभीर बीमारी हो जाए, तो जीवन बचाने का कोई रास्ता नहीं, करोड़ों गरीब,
दलित, आदिवासी, महिलाएं मूलभूत मानवीय गरिमा से वंचित थे! और, ये करोड़ों लोग, इतनी पीढ़ियों

से इन कठिनाइयों में जीते चले आ रहे थे, कि उनके मन में बेहतर जिंदगी की उम्मीद तक मर चुकी
थी। जब देश की इतनी बड़ी आबादी ऐसी पीड़ा और निराशा में थी, तब देश कैसे प्रगति कर सकता
था? और इसलिए, हमने सबसे पहले संवेदनशीलता को सरकार की सोच में ढाला! हमने सेवा को संकल्प बनाया।”
उन्होंने कहा, “इसी का परिणाम है कि, हम प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत, करोड़ों गरीब-दलित-

पीड़ित-शोषित-वंचित परिवारों को पक्के घर दे पाये हैं। हमारा लक्ष्य हर गरीब को उसका पक्का घर
देने का है। और, ये घर केवल ईंट सीमेंट का ढांचा नहीं होता, उसमें घर की संकल्पना साकार होती
है, तमाम जरूरी सुविधाएं होती हैं। हम चार दीवारों वाली ईमारत नहीं देते, हम सपनों को संकल्प में
बदलने वाला घर देते हैं। इसीलिए, प्रधानमंत्री आवास योजना के घरों में गैस, बिजली, शौचालय जैसी

हर सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। जलजीवन मिशन के तहत हर घर तक पानी पहुंचाया जा रहा
है। ऐसे आदिवासी इलाकों में, जहां कभी सरकार पहुंची ही नहीं, आज वहाँ विकास की गारंटी पहुँच
रही है। आदिवासियों में, उसमें भी जो अतिपिछड़े आदिवासी हैं, हमने उनके लिए प्रधानमंत्री जनमन
योजना शुरू की है। उससे आज कितने ही इलाकों की तस्वीर बदल रही है। इसका परिणाम ये है कि,
समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति में भी नई उम्मीद जगी है। वो न केवल अपना जीवन
बदल रहा है, बल्कि वो राष्ट्रनिर्माण में भी अपनी मजबूत भूमिका देख रहा है।”

मोदी ने कहा कि श्रीनारायण गुरु ने हमेशा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया था। हमारी सरकार
भी महिला नीत विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारे देश में आज़ादी के इतने साल बाद
भी ऐसे कई क्षेत्र थे, जिनमें महिलाओं की एंट्री ही बैन थी। हमने इन प्रतिबंधों को हटाया, नए-नए
क्षेत्रों में महिलाओं को अधिकार मिले, आज खेल से लेकर अंतरिक्ष तक हर क्षेत्र में बेटियाँ देश का

नाम रोशन कर रही हैं। आज समाज का हर वर्ग, हर तबका, आत्मविश्वास के साथ विकसित भारत
के सपने को, उसमें अपना योगदान कर रहा है। स्वच्छ भारत मिशन, पर्यावरण से जुड़े अभियान,
अमृतसरोवर का निर्माण, मिलेट्स को लेकर जागरूकता जैसे अभियान, हम जनभागीदारी की भावना
से आगे बढ़ रहे हैं, 140 करोड़ देशवासियों की ताकत से आगे बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रीनारायण गुरु का संदेश था,“शिक्षा से ज्ञान, संगठन से शक्ति, उद्यम से

समृद्धि।” उन्होंने खुद भी इस विज़न को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण संस्थाओं की नींव रखी थी।
शिवगिरी में ही गुरुजी ने शारदा मठ की स्थापना की थी। माँ सरस्वती को समर्पित ये मठ, इसका
संदेश है कि शिक्षा ही वंचितों के लिए उत्थान और मुक्ति का माध्यम बनेगी। गुरुदेव के उन प्रयासों
का आज भी लगातार विस्तार हो रहा है। देश के कितने ही शहरों में गुरुदेव सेंटर्स और श्रीनारायण
सांस्कृतिक मिशन मानव हित में काम कर रहे हैं। शिक्षा, संगठन और औद्योगिक प्रगति से समाज

कल्याण के इस विज़न की स्पष्ट छाप, आज हम देश की नीतियों और निर्णयों में भी देख सकते हैं।
हमने इतने दशक बाद देश में नई शिक्षा नीति लागू की है। नई शिक्षा नीति न केवल शिक्षा को
आधुनिक और समावेशी बनाती है, बल्कि मातृभाषा में पढ़ाई को भी बढ़ावा देती है। इसका सबसे बड़ा
लाभ पिछड़े और वंचित तबके को ही हो रहा है।

उन्होंने कहा कि हमने पिछले एक दशक में देश में इतनी बड़ी संख्या में नई आईआईटी, आईआईएम,
एम्स जैसे संस्थान खोले हैं, जितने आज़ादी के बाद 60 वर्षों में नहीं खुले थे। इसके कारण आज
उच्च शिक्षा में गरीब और वंचित युवाओं के लिए नए अवसर खुले हैं। बीते 10 साल में आदिवासी
इलाकों में 400 से ज्यादा एकलव्य आवासीय स्कूल खोले गए हैं। जो जनजातीय समाज कई पीढ़ियों

से शिक्षा से वंचित थे, उनके बच्चे अब आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने शिक्षा को सीधे
कौशल और अवसरों से जोड़ा है। स्किल इंडिया जैसे मिशन देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बना रहे
हैं। देश की औद्योगिक प्रगति, निजी क्षेत्र में हो रहे बड़े सुधारों, मुद्रा योजना, स्टैंडअप योजना, इन
सबका भी सबसे बड़ा लाभ दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज को हो रहा है।

मोदी ने कहा कि श्री नारायण गुरु एक सशक्त भारत चाहते थे। भारत के सशक्तिकरण के लिए
हमें आर्थिक, सामाजिक और सैन्य, हर पहलू में आगे रहना है। आज देश इसी रास्ते पर चल रहा है।
भारत तेज़ी से दुनिया की तीसरे नंबर की इकॉनॉमी बनने की तरफ बढ़ रहा है। हाल में दुनिया ने ये
भी देखा है कि भारत का सामर्थ्य क्या है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कठोर
नीति को दुनिया के सामने एकदम स्पष्ट कर दिया है। हमने दिखा दिया है कि भारतीयों का खून

बहाने वाले आतंकियों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज का भारत देशहित में जो भी हो सकता है और जो भी सही है, उसके हिसाब से
कदम उठाता है। आज सैन्य ज़रूरतों के लिए भी भारत की विदेशों पर निर्भरता लगातार कम हो रही
है। हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहे हैं। और इसका प्रभाव हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी
देखा है। हमारी सेनाओं ने भारत में बने हथियारों से दुश्मन को 22 मिनट में घुटने टेकने के लिए

मजबूर कर दिया। मुझे विश्वास है, आने वाले समय में मेड इन इंडिया हथियारों का डंका पूरी दुनिया में बजेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के संकल्पों को पूरा करने के लिए हमें श्रीनारायण गुरु की शिक्षाओं को
जन-जन तक पहुंचाना है। हमारी सरकार भी इस दिशा में सक्रियता के साथ काम कर रही है। हम

शिवगिरी सर्किट का निर्माण करके श्रीनारायण गुरु के जीवन से जुड़े तीर्थ स्थानों को जोड़ रहे हैं। हमें
विश्वास है, उनके आशीर्वाद, उनकी शिक्षाएँ अमृतकाल की हमारी यात्रा में देश को रास्ता दिखाती
रहेंगी। हम सब एक साथ मिलकर विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे।

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