Saturday, December 6, 2025
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हसीना को अदालत की अवमानना मामले में छह महीने की जेल कीसजा सुनाई गई

ढाका, 02 जुलाई (वेब वार्ता)। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत की
अवमानना के मामले में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने छह महीने की
जेल की सजा सुनाई। स्थानीय मीडिया ने यह खबर दी।

‘डेली स्टार’ अखबार की खबर के अनुसार, न्यायाधीश मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार के नेतृत्व में
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 की तीन सदस्यीय पीठ ने अपदस्थ अवामी लीग की नेता से
संबंधित लीक हुई फोन पर बातचीत के अंश की समीक्षा के बाद यह आदेश पारित किया। फोन पर
बातचीत के अंश पिछले वर्ष सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए थे।

पिछले साल अगस्त में पद छोड़ने के बाद से यह पहली बार है जब 72 वर्षीय नेता को किसी मामले में सजा सुनाई गई है।
‘ऑडियो क्लिप’ में अपदस्थ प्रधानमंत्री को गोविंदगंज उपजिला के पूर्व अध्यक्ष और प्रतिबंधित
बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) के नेता शकील अकंद बुलबुल से कथित तौर पर ये कहते सुना जा

सकता है, ”मेरे खिलाफ 227 मामले दर्ज हैं, इसलिए मुझे 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिल गया है।”
न्यायाधिकरण ने बयान को अवमाननापूर्ण और अदालत को कमजोर करने का सीधा प्रयास माना।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ (बांग्लादेश समाचार एजेंसी) के अनुसार न्यायाधिकरण ने बुलबुल

को भी दोषी ठहराया और दो महीने के कारावास की सजा सुनाई।
न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा कि सजा की अवधि उनकी गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण के दिन से लागू होगी।
पिछले साल पांच अगस्त को देश में छात्रों के नेतृत्व वाले एक बड़े आंदोलन के बाद हसीना को
अपदस्थ कर दिया गया था, जिसके बाद उन्हें ढाका छोड़कर जाना पड़ा था।

हसीना के पद से हटने के बाद 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने पिछले साल
अगस्त में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था।
अवामी लीग के अधिकतर नेता और कई अधिकारी समेत पिछली सरकार के मंत्री गिरफ्तार कर लिए

गए या देश-विदेश में छिपे हुए हैं। सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए की गई क्रूर कार्रवाई को लेकर
इन नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया है, जिसमें छात्रों सहित सैकड़ों लोग मारे गए थे।
हसीना और उनकी सरकार के नेताओं पर बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में

मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसका गठन 2010 में 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी
सैनिकों के कट्टर सहयोगियों पर मानवता के विरुद्ध अपराध जैसे आरोपों के तहत मुकदमा चलाने
के लिए किया गया था।

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