Saturday, December 6, 2025
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भगवान हनुमान जी केवल त्रेता युग के नहीं, कलियुग के भी संकटमोचन हैं – संत छविराम दास

कहा- जो भगवान हनुमान जी का स्मरण करता है, उसका जीवन भयमुक्त, शक्तिशाली और धर्ममय बन जाता है

इंडिया गौरव, राहुल सीवन। जिला कैथल के प्रमुख संत छविराम दास ने कहा कि संकटमोचन हनुमान जी की महिमा का वर्णन करना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। वे केवल प्रभु राम भक्त ही नहीं, बल्कि वेदों, धर्म, सेवा, शक्ति और भक्ति के प्रतीक हैं। संत ने कहा कि भगवान हनुमान जी की अराधना करने वाला भक्त जीवन की हर परीक्षा में सफल होता है।

उन्होंने कहा कि जब लंका जलानी हो, पर्वत उठाना हो या रामजी का संदेश सीता माता तक पहुंचाना हो – हर कठिन समय में हनुमान जी ने असंभव को संभव कर दिखाया। यही कारण है कि आज भी प्रत्येक संकट में पहला स्मरण “हनुमान जी” का ही होता है। वे आज भी जीवित हैं, अमर हैं, और जो सच्चे दिल से उन्हें पुकारता है, उसकी रक्षा अवश्य करते हैं।

संत छविराम दास ने कहा कि वर्तमान समय में जहां चारों ओर तनाव, लोभ, मोह, और अनिश्चितता का वातावरण है, वहां भगवान हनुमान भक्ति ही वह शक्ति है जो दिल को स्थिरता, आत्मा को विश्वास और जीवन को दिशा देती है। उन्होंने युवाओं को विशेष संदेश देते हुए कहा कि प्रभु हनुमान जी का चरित्र केवल चमत्कारी नहीं, बल्कि अनुशासन, समर्पण और सेवा का पाठ पढ़ाने वाला है।

उन्होंने कहा कि हर घर में प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे न केवल मानसिक शक्ति बढ़ती है, बल्कि परिवार में सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है। घर में कलह, बीमारी, भय या आर्थिक संकट हो, तो भगवान हनुमान जी की अराधना अमोघ औषधि के समान कार्य करती है।

संत ने कहा कि जब हनुमान जी को ‘रामकाज कीन्हे बिना मोहि कहां विश्राम’ जैसा भाव रहता था, तो आज भी हमें यह सीख लेनी चाहिए कि जीवन केवल भोग का नहीं, योग और सेवा का माध्यम बनना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि हनुमान जी ब्रह्मचारी होते हुए भी पूर्ण ज्ञानी, पराक्रमी, और नीति में निपुण थे। वे एक महान दूत, वीर योद्धा, और सच्चे भक्त के रूप में आदर्श हैं। उनकी जीवन गाथा हमें सिखाती है कि सेवा, श्रद्धा, संकल्प और समर्पण से कुछ भी असंभव नहीं है।

अंत में संत छविराम दास ने आह्वान किया कि आने वाली पीढ़ियों को भगवान हनुमान जी की भक्ति से जोड़ना ही समय की आवश्यकता है। केवल मंदिरों में दीप जलाने से नहीं, बल्कि उनके गुणों को जीवन में उतारने से ही हम सच्चे रामभक्त और सच्चे इंसान बन सकते हैं।

उन्होंने सभी भक्तों से आग्रह किया कि सप्ताह में कम से कम एक दिन – मंगलवार या शनिवार भगवान हनुमान जी की विशेष पूजा व उपासना करें और समाज को भयमुक्त व धर्मयुक्त बनाने में योगदान दें।

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