Saturday, December 6, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeनई ‎दिल्लीजलवायु परिवर्तन के संकट को देखते हुए पर्यावरणीय लागतों पर भी ध्यान...

जलवायु परिवर्तन के संकट को देखते हुए पर्यावरणीय लागतों पर भी ध्यान दें लेखाकार: मुर्मु

नई दिल्ली, 23 जून । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जलवायु परिवर्तन के संकटों के मद्देनजर
लेखाकारों से पर्यावरणीय लागतों को ध्यान में रखने पर जोर देते हुए कहा है कि उनकी जिम्मेदारियां
वित्तीय लेखांकन से कहीं आगे हैं।

श्रीमती मुर्मु ने सोमवार को यहां भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (आईसीएमएआई) के राष्ट्रीय छात्र
दीक्षांत समारोह में कहा कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना कर रही है और सतत
विकास अब एक नारा नहीं है यह एक जरूरत बन गई है। उन्होंने कहा कि बदली हुई परिस्थितियों में

लेखाकारों की भूमिका और जिम्मेदारी भी बदल गयी है। उन्होंने कहा,“ वह समय बीत चुका है जब
कॉर्पोरेट संगठन केवल लाभ के उद्देश्य से काम करते थे। अब उन्हें पर्यावरणीय लागतों को ध्यान में
रखना होगा। और यहीं पर सीएमए अपने कौशल के साथ ग्रह के भविष्य में एक बड़ा बदलाव ला
सकते हैं। राष्ट्रपति ने छात्रों को यह ध्यान रखने की सलाह दी कि उनकी ज़िम्मेदारियाँ वित्तीय
लेखांकन से कहीं आगे तक फैली हुई हैं। ”

उन्होंने कहा कि लागत लेखाकार के रूप में वह 2047 तक देश के विकास में योगदान देने के लिए
अद्वितीय स्थिति में हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आईसीएमएआई द्वारा दी जाने वाली शिक्षा
उन्हें न केवल सफल पेशेवर बनने में सक्षम बनाएगी, बल्कि राष्ट्र-निर्माता भी बनाएगी।
राष्ट्रपति ने लेखाकारों के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि लेखांकन और जवाबदेही गहराई से

जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा,“ हम जवाबदेही को महत्व देते हैं, इसलिए हम लेखांकन को विशेष महत्व
देते हैं।” राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय लागत लेखाकार संस्थान आधुनिक समय में इस समृद्ध
विरासत को आगे बढ़ा रहा है। देश में लागत और प्रबंधन लेखाकारों के पेशे के नियमन तथा विकास

के लिए आईसीएमएआई की स्थापना 1944 में की गई थी। यह संस्थान स्वतंत्रता के बाद भारत के
आर्थिक परिवर्तन की गाथा का गवाह होने के साथ साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे
मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि आईसीएमएआई देश की प्रगति में भागीदार रहा है क्योंकि यह नीति
निर्माताओं, केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ विभिन्न संगठनों को लागत-कुशल रणनीतियां,
प्रणालियां और मैनुअल विकसित करने में मूल्यवान सहायता प्रदान करता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments