Wednesday, December 24, 2025
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डिजिटल और गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी में निपुण विशेषज्ञों कीजरूरत : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

नई दिल्ली, 23 दिसंबर । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गैर पारंपरिक और डिजिटल चुनौतियों
को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद जटिल खतरा बताते हुए कहा है कि इनसे निपटने के लिए बड़ी
संख्या में प्रौद्योगिकी में निपुण विशेषज्ञों की जरूरत है। राष्ट्रपति ने आर्थिक निवेश और विकास के
लिए पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था को जरूरी शर्त बताया है और कहा कि लोगों के कल्याण और सार्वजनिक
भागीदारी को रणनीति के केंद्र में रखकर नागरिकों को खुफिया जानकारी और सुरक्षा के प्रभावी स्रोत
के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

श्रीमती मुर्मु ने मंगलवार को यहां खुफिया ब्यूरो (आईबी) के शताब्दी व्याख्यान में ‘जन-केंद्रित राष्ट्रीय
सुरक्षा: विकसित भारत के निर्माण में सामुदायिक भागीदारी’ विषय पर बोलते हुए कहा कि यह गर्व
की बात है कि स्वतंत्रता के बाद से खुफिया ब्यूरो लोगों को सुरक्षा प्रदान करने तथा राष्ट्र की एकता
और अखंडता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि आईबी सहित
सभी संबंधित संस्थानों को लोगों को जागरूक बनाना चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि सजग नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा में लगी सरकारी एजेंसियों को प्रभावी सहयोग प्रदान
कर सकते हैं। उन्होंने कहा,” जब नागरिक समुदाय के रूप में संगठित होते हैं, तो वे राष्ट्रीय सुरक्षा
से जुड़ी सरकारी पहलों को सशक्त समर्थन दे सकते हैं। हमारे संविधान में नागरिकों के मौलिक
कर्तव्यों का उल्लेख है, जिनमें से कई राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक आयामों से जुड़े हैं। विद्यार्थी,
शिक्षक, मीडिया, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, सिविल सोसायटी संगठन और अन्य समुदाय इन
कर्तव्यों का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि सामुदायिक भागीदारी राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाती है और ऐसे अनेक
उदाहरण हैं जब सजग नागरिकों ने अपनी जानकारी के माध्यम से सुरक्षा संकटों को टालने में पेशेवर
बलों की मदद की है। उन्होंने कहा, ”राष्ट्रीय सुरक्षा की विस्तृत अवधारणा और रणनीति में जनता को
केंद्र में रखा गया है। लोग केवल मूक दर्शक न बने रहें, बल्कि अपने आसपास और उससे आगे के
क्षेत्रों की सुरक्षा में सजग एवं सक्रिय भागीदार बनें। ‘जन भागीदारी’ जन-केंद्रित सुरक्षा की आधारशिला है।

राष्ट्रपति ने कहा कि नागरिक पुलिस और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को जनता की सेवा की भावना
के साथ कार्य करना चाहिए। सेवा की यह भावना जनता के बीच विश्वास पैदा करती है। यह विश्वास
जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति विकसित करने की एक आवश्यक शर्त है, जिसमें सामुदायिक
भागीदारी प्रमुख तत्व होगी। सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव, आतंकवाद एवं उग्रवाद, विद्रोह और

साम्प्रदायिक कट्टरता जैसी पारंपरिक सुरक्षा चिंताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा हाल के वर्षों
में साइबर अपराध एक बड़ी सुरक्षा चुनौती के रूप में उभरे हैं। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी
हिस्से में सुरक्षा की कमी का आर्थिक प्रभाव प्रभावित क्षेत्र से कहीं आगे तक जाता है। सुरक्षा, निवेश
और आर्थिक विकास के प्रमुख कारकों में से एक है। उन्होंने कहा, ” समृद्ध भारत’ के निर्माण के
लिए ‘सुरक्षित भारत’ का निर्माण आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सोशल मीडिया में निर्माण और विनाश—दोनों की क्षमता है। लोगों को भ्रामक
सूचनाओं से बचाना एक बड़ी चुनौती है, जिसे निरंतर और प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय
हित में तथ्य-आधारित विमर्श प्रस्तुत करने वाले सक्रिय सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को तैयार
करने की आवश्यकता है।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की सबसे जटिल चुनौतियां गैर-पारंपरिक और डिजिटल प्रकृति
की हैं, जो अत्याधुनिक तकनीकों से उत्पन्न होती हैं। इस संदर्भ में तकनीकी रूप से सक्षम विशेषज्ञों
को तैयार किया जाना जरूरी है। डिजिटल धोखाधड़ी की बढ़ती समस्या के लिए परिवार, संस्थान और
समुदाय—सभी स्तरों पर सतर्कता जरूरी है। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म नागरिकों को फिशिंग,

डिजिटल धोखाधड़ी और ऑनलाइन उत्पीड़न की रिपोर्ट करने में सक्षम बना सकते हैं। ऐसे रियल-
टाइम डेटा के विश्लेषण से पूर्वानुमान आधारित पुलिसिंग मॉडल विकसित किए जा सकते हैं। सजग
और सक्षम नागरिक समुदाय न केवल साइबर अपराधों के प्रति कम संवेदनशील होंगे, बल्कि इनके
विरुद्ध सुरक्षा कवच के रूप में भी कार्य करेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि यदि हम नागरिक कल्याण और जन भागीदारीको अपनी रणनीति के केंद्र में
रखें, तो नागरिकों को सुरक्षा और खुफिया जानकारी के प्रभावी स्रोत के रूप में सशक्त बनाया जा
सकता है। जन भागीदारी से प्रेरित यह परिवर्तन 21वीं सदी की जटिल और बहुआयामी सुरक्षा
चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सार्वजनिक भागीदारी के
माध्यम से हम एक सजग, शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में तेजी से
आगे बढ़ेंगे।

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