कैथल । मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय ओवरसीज स्कॉलरशिप योजना को खत्म किए जाने की मंशा पर ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा ने गहरा रोष प्रकट किया है। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश बहादुर ने बताया कि वर्ष 2025-26 सत्र के लिए चुने गए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के 106 में से 66 छात्रों को सरकार द्वारा स्कॉलरशिप लेटर नहीं दिया गया है। सरकार ने इसका कारण बताया है कि फंड उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए इन छात्रों के स्कॉलरशिप पत्र बाद में दिए जा सकते हैं। बहादुर ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि जब कोई दलित, पिछड़ा या आदिवासी छात्र पढऩा चाहता है तभी मोदी सरकार का बजट खत्म हो जाता है।
सरकार का ये कहना कि शिक्षा के लिए उनके पास फंड उपलब्ध नहीं है
सरकार का ये कहना कि शिक्षा के लिए उनके पास फंड उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनके पास धार्मिक अयोजनों के प्रचार प्रसार और इवेंट्स पर हजारों करोड़ रुपये कहा से आते हैं। सरकार ने कुम्भ के मेले में अनावश्यक हजारों करोड़ रुपए टैक्स पेयर के बर्बाद कर दिए जबकि हरियाणा सरकार ने भी तीन सौ करोड़ से भी अधिक कुरुक्षेत्र के गीता जयंती पर बर्बाद किया। देश मोदी सरकार से जानना चाहता है कि यह पैसा किस बजट के तहत खर्च किया गया था, क्या धार्मिक आयोजनों के लिए सरकार के बजट में प्रोविजन किया जा सकता है। बहादुर ने प्रधानमंत्री को बहुजन शिक्षा विरोधी बताया। इन्होंने दलित समाज के दलाल और गुलाम मंत्रियों को भी लताड़ लगाते हुए इनसे इस्तीफे की मांग की है क्योंकि ये लोग समाज के साथ हो रही इस ठगी पर मुंह सील कर बैठे हैं।

