
इंडिया गौरव, राहुल सीवन। हम सभी का यह नैतिक और मानवीय कर्तव्य है कि हम अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों की मदद करें और गौमाता की निस्वार्थ सेवा में योगदान दें। यह विचार जागरूक युवा समाजसेवी प्रदीप मोगा और युवा समाजसेविका कविता मोगा ने संयुक्त रूप से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सेवा भाव किसी जाति, धर्म या वर्ग का मोहताज नहीं होता बल्कि यह एक ऐसी मानवता की डोर है जो सभी दिलों को जोड़ती है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि समाज में किसी भी असहाय, पीड़ित या संकटग्रस्त व्यक्ति की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहें।
दोनों ने विशेष रूप से गौसेवा पर बल देते हुए कहा
दोनों ने विशेष रूप से गौसेवा पर बल देते हुए कहा कि गौमाता हमारी संस्कृति, आस्था और प्रकृति का प्रतीक हैं। गौशालाओं में पल रही गौमाताओं की सेवा के लिए हम सभी को आगे आना चाहिए। जहां तक संभव हो, हमें दान, चारा, दवाई और आर्थिक सहयोग देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई सेवा छोटी या बड़ी नहीं होती, बस भावना सकारात्मक और समर्पित होनी चाहिए। आज के समय में जब अधिकांश लोग केवल अपने स्वार्थ में लिप्त रहते हैं, ऐसे में परोपकार और नि:स्वार्थ सेवा की भावना को जीवित रखना अत्यंत आवश्यक है। प्रदीप मोगा और कविता मोगा ने यह भी कहा कि हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ योगदान दे सकता है। किसी के पास अधिक संसाधन हैं तो किसी के पास सेवा का समय और समर्पण। दोनों ही समान रूप से मूल्यवान हैं।
युवा समाजसेवी प्रदीप मोगा और युवा समाजसेविका कविता मोगा ने कहा कि
उन्होंने कहा कि गौसेवा केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के लिए भी आवश्यक है। गाय का गोबर, मूत्र और अन्य उत्पाद प्राकृतिक कृषि और जैविक जीवनशैली को बढ़ावा देते हैं।दोनो ने लोगों से आह्वान किया कि वे सामाजिक जिम्मेदारी को समझें और स्वयंसेवा के क्षेत्र में आगे आएं। दूसरों की मदद करके जो आत्मसंतोष मिलता है, वह किसी भौतिक वस्तु से नहीं मिल सकता। उन्होंने कहा कि जब हम किसी असहाय के चेहरे पर मुस्कान लाने का माध्यम बनते हैं, तभी हमारा जीवन सार्थक बनता है। एक छोटा सा प्रयास भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है। उन्होंने अंत में यह भी कहा कि गांव-गांव, शहर-शहर में गौशालाओं के संचालन और देखभाल के लिए समाज के हर वर्ग को मिलकर सहयोग करना चाहिए ताकि कोई भी गौमाता भूखी, बीमार या उपेक्षित न रहे। प्रदीप मोगा और कविता मोगा की यह प्रेरणादायक सोच समाज के हर व्यक्ति के लिए एक मिसाल है।

