पिछले एक वर्ष से प्रतिदिन योग करवाकर लोगों के जीवन में भर रहे हैं नई ऊर्जा, सकारात्मकता और आनंद
इंडिया गौरव, राहुल सीवन। शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं योग शिक्षक सुधीर मिड्ढा ने कहा कि योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को सुंदर और संतुलित बनाने की अद्भुत कला है। उन्होंने कहा कि योग से व्यक्ति के शरीर, दिल और आत्मा का समन्वय होता है और जीवन में नई ऊर्जा, उमंग और सकारात्मकता का संचार होता है। सुधीर मिड्ढा पिछले लगभग एक वर्ष से अधिक समय से प्रतिदिन गांव के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 25 से 30 लोगों को निःस्वार्थ भाव से योगाभ्यास करवा रहे हैं। उनका यह निरंतर सेवा भाव समाज में स्वास्थ्य और जागरूकता की अलख जगा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज के तनावपूर्ण जीवन में योग
उन्होंने कहा कि आज के तनावपूर्ण जीवन में योग ही एक ऐसा माध्यम है जो चिंता, अवसाद, क्रोध और मानसिक अस्थिरता को समाप्त कर सच्चे सुख और शांति की ओर ले जाता है। सुधीर मिड्ढा ने विशेष रूप से युवाओं, विद्यार्थियों और कामकाजी लोगों से अपील की कि वे प्रतिदिन कुछ समय योग और प्राणायाम के लिए अवश्य निकालें ताकि वे मानसिक रूप से मजबूत और आत्मविश्वासी बन सकें। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा कराए जाने वाले योग सत्रों में सूर्य नमस्कार, विभिन्न आसनों, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास कराया जाता है जिससे शरीर में लचीलापन, ताजगी और आंतरिक शक्ति का विकास होता है।
सुधीर मिड्ढा ने कहा
सुधीर मिड्ढा ने कहा कि योग केवल शरीर को नहीं, विचारों को भी सुंदर बनाता है। सच्चा पैसा स्वास्थ्य है, और स्वास्थ्य की कुंजी योग है। योग अपनाएं, रोग भगाएं। योग से ही जीवन में समरसता और संयम आता है। उन्होंने यह भी बताया कि योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य देता है बल्कि मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को जड़ से समाप्त करता है। उन्होंने कहा कि वह अपने इस अभियान को और विस्तार देंगे और भविष्य में विशेष योग शिविरों व कार्यशालाओं का आयोजन कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ेंगे। उन्होंने कहा
हर व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल
कि समाज में जब हर व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल होगा, तभी एक सशक्त और जागरूक राष्ट्र का निर्माण संभव है। सुधीर मिड्ढा का यह सतत सेवा भाव और निस्वार्थ समर्पण समाज में स्वास्थ्य, जागरूकता और सकारात्मकता का संदेश प्रसारित कर रहा है। हर दिन योग, हर दिल निरोग। सकारात्मक सोच और योग, जीवन का सच्चा संयोग। उन्होंने अंत में सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे योग को केवल एक दिन का उत्सव न माने, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं ताकि हर व्यक्ति स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक संतुलन की ओर अग्रसर हो सके।

