
इंडिया गौरव, राहुल सीवन। सीवन में आज विश्व सादगी दिवस के अवसर पर अग्रवाल सभा सीवन के प्रधान सुमेश बंसल काका व प्रमुख समाजसेवी गोल्डी बंसल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सादगी केवल जीवन का एक तरीका नहीं बल्कि मनुष्य के चरित्र और विचारों की गहराई का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में जहां हर व्यक्ति भौतिक सुख-सुविधाओं की दौड़ में भाग रहा है, वहां सादगी अपनाकर मानसिक शांति, सच्चा सुख और आत्मसंतोष प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने उपस्थित लोगों से आह्वान किया कि जीवन में दिखावे की बजाय विनम्रता, सरलता और सहजता को अपनाएं।
दोनों समाजसेवियों ने कहा
दोनों समाजसेवियों ने कहा कि थोरो जैसे महान विचारक का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कम साधनों में भी श्रेष्ठ जीवन जिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दिखावे वाली जीवनशैली न केवल मानसिक तनाव को बढ़ाती है बल्कि परिवारिक और सामाजिक संबंधों में भी दूरियां पैदा करती है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को सादगी का महत्व समझाने पर जोर दिया और कहा कि यदि हम युवा पीढ़ी को सादगी के बीज बोने के लिए प्रेरित करें तो आने वाली पीढ़ियां सुखद, शांतिपूर्ण और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपना सकती हैं। उन्होंने बताया कि सादगी केवल वस्त्र, आहार और आचार में नहीं बल्कि विचार, व्यवहार और आचरण में भी होनी चाहिए। प्रमुख समाजसेवी गोल्डी बंसल ने कहा कि सादगी को अपनाकर हम स्वार्थ, ईर्ष्या, अहंकार जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से भी दूर रह सकते हैं।
दोनों वक्ताओं ने अपील की
दोनों वक्ताओं ने अपील की कि समाज में हर व्यक्ति यदि सादगी, सहृदयता और करुणा का पालन करे तो सामाजिक समरसता और आपसी भाईचारा प्रबल होगा। उन्होंने कहा कि विलासिता और भोगवादी प्रवृत्तियां समाज में असंतोष और अशांति फैलाती हैं जबकि सादगी शांति और स्थिरता का मार्ग है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हमारे प्राचीन ऋषि-मुनि, संत-महात्मा और महापुरुष सादगी के पथिक रहे हैं और उनके आचरण से हमें सीख लेनी चाहिए। बंसल बंधुओं ने कहा कि आज के भौतिकतावादी युग में भी सादगी के बीज बोकर मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि
उन्होंने कहा कि असली सुख बाहरी भौतिक चीजों में नहीं बल्कि हमारे अंदर की संतुष्टि और संतुलन में छिपा होता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने जीवन में अनावश्यक तड़क-भड़क छोड़कर सरल और सजग जीवनशैली अपनाएं। उन्होंने कहा कि सादगी अपनाने से न केवल हमारा जीवन हल्का और तनावमुक्त होता है बल्कि समाज में भी सद्भाव और सहयोग की भावना पनपती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गांधी जी, विनोबा भावे, और अब्दुल कलाम जैसे महापुरुषों का जीवन सादगी का जीवंत उदाहरण है।
प्रकृति भी सादगी की पुजारी है
दोनों समाजसेवियों ने कहा कि प्रकृति भी सादगी की पुजारी है और हमें इससे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि हम अपने दिल, वचन और कर्म में सादगी अपनाकर स्वयं को भी और समाज को भी एक नई दिशा दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उपभोग की सीमित प्रवृत्ति पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक बन सकती है। अंत में उन्होंने कहा कि एक साधारण जीवन ही असाधारण सुख का रास्ता है और हमें इसका अभ्यास शुरू करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों ने सादगी और संयम का पालन करने की शपथ ली।

