
इंडिया गौरव, राहुल सीवन। प्रमुख समाजसेवी व अधिवक्ता सुरेंद्र सरदाना और प्रमुख समाजसेविका व अधिवक्ता ममता सरदाना ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर गहरा संदेश देते हुए कहा कि अब समय नहीं रहा कि हम प्रकृति को नजरअंदाज करें। पेड़-पौधे केवल छाया और ऑक्सीजन नहीं देते, बल्कि जीवन का आधार हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में इंसान प्रकृति से दूर होता जा रहा है, लेकिन यह दूरी आत्मविनाश का मार्ग है। आज जिस तरह से जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़ और गर्मी की तीव्रता बढ़ रही है, वह प्रकृति के प्रति हमारी लापरवाही का परिणाम है। हमें अब केवल भाषण नहीं, बल्कि धरातल पर कार्य करना होगा।
सरदाना दंपती ने कहा
सरदाना दंपती ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह वर्ष में कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाए और उसकी देखरेख करे। यदि हर परिवार एक पेड़ को अपना सदस्य मान ले तो आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मिल सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकार की नहीं, अपितु हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग मुद्दों से अधिक प्रकृति की पुकार को महत्व दें।
ममता सरदाना ने विशेष रूप से महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा
ममता सरदाना ने विशेष रूप से महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जिस तरह वे अपने घर को संवारती हैं, उसी तरह प्रकृति को भी सहेजने का कार्य करें। रसोई से निकलने वाले कचरे से जैविक खाद बनाएं, प्लास्टिक का उपयोग कम करें और वर्षा जल संचयन को अपनाएं। दोनों अधिवक्ताओं ने कहा कि यह समय जागरूक होने का है। हम जितनी जल्दी समझेंगे, उतनी ही देर से नुक्सान होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना पूजा के समान है और इस कार्य में भागीदारी मानव धर्म का सबसे बड़ा रूप है।

