
इंडिया गौरव, राहुल सीवन । धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में भाग लेने से न केवल दिल को सुकून मिलता है, बल्कि जीवन को एक नई दिशा भी मिलती है। यह विचार युवा समाजसेवी प्रदीप मोगा व युवा समाजसेविका कविता मोगा ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब व्यक्ति तनाव, भटकाव आदि का शिकार होता जा रहा है, तब ऐसे आयोजनों में भाग लेना बेहद आवश्यक हो गया है। धार्मिक वातावरण में कुछ पल बिताने से विचारों में शुद्धता आती है और आत्मा को संतोष की अनुभूति होती है।
कविता मोगा ने कहा कि धार्मिक आयोजन हमें हमारे मूल संस्कारों और परंपराओं से जोड़ते हैं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे इन आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग लें और अपनी संस्कृति को आत्मसात करें। प्रदीप मोगा ने कहा कि सामाजिक आयोजनों के माध्यम से हम समाज की सच्ची सेवा कर सकते हैं।
जरूरतमंदों की मदद करना, बुजुर्गों का सम्मान और बच्चों को अच्छे संस्कार देना सच्चा धर्म है। उन्होंने बताया कि वे समय-समय पर सेवा शिविर, रक्तदान, व वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रमों में सक्रिय रहते हैं । उन्होंने कहा कि सेवा के भाव से किया गया हर कार्य ईश्वर की पूजा के समान होता है।
प्रदीप मोगा ने बताया कि वे युवा वर्ग को समाजसेवा से जोड़ने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। कविता मोगा ने कहा कि महिलाएं अगर धार्मिक व सामाजिक कार्यों में आगे आएं, तो समाज में बड़ा परिवर्तन संभव है।
उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों से नारी शक्ति की पहचान और बढ़ती है। दोनों ने कहा कि धर्म केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि दूसरों की भलाई और नैतिक जीवन जीना भी धर्म है। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि सोशल मीडिया से समय निकालकर वास्तविक समाज से जुड़ें।
संस्कार, सेवा और सच्चाई ही जीवन की असली पूंजी है। धार्मिक कार्यक्रम हमें अहंकार से मुक्त करते हैं और विनम्रता सिखाते हैं। कविता मोगा और प्रदीप मोगा ने सभी से आग्रह किया कि अपने-अपने स्तर पर छोटे-छोटे सेवा कार्य आरंभ करें। समाज को बेहतर बनाने की शुरुआत स्वयं से ही होती है, यही उनका स्पष्ट संदेश है

