
इंडिया गौरव, राहुल सीवन। जिला कैथल के प्रमुख समाजसेवी राजकुमार गोयल व प्रमुख समाजसेवी ललित सेठी ने एक विचार गोष्ठी के दौरान कहा कि जो रोटी मेहनत से कमाई जाती है, व सादगी से खाई जाती है और वह किसी दवा से कम असरकारक नहीं होती। उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में जहां लोग दिखावे की जिंदगी में उलझे हुए हैं, वहीं मेहनत से अर्जित रोटी आत्मिक संतोष, स्वास्थ्य और संस्कार का प्रतीक बनती है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि मेहनत की रोटी में जो आत्मिक सुख होता है, वह किसी स्वादिष्ट व्यंजन में नहीं मिलता। जिस घर में परिश्रम का भोजन पकता है, वहां हमेशा शांति, समृद्धि और आपसी प्रेम बना रहता है। सादा जीवन और उच्च विचार की परंपरा को जीवित रखने का मूल आधार ही मेहनत से अर्जित किया गया भोजन है।
समाजसेवी राजकुमार गोयल ने उदाहरण देते हुए बताया कि मेहनत का फल सदैव मीठा होता है। समाजसेवी ललित सेठी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को यह समझना होगा कि मेहनत की थाली में जो रोटी परोसी जाती है, वह शरीर को ही नहीं, आत्मा को भी ऊर्जा देती है।
दोनों समाजसेवियों ने युवाओं से आह्वान किया कि वे आराम की बजाय श्रम को अपनाएं। उन्होंने कहा कि भले ही साधन सीमित हों, पर अगर साधना सच्ची हो तो जीवन में संतुलन, सुख और संतोष अवश्य मिलता है। उन्होंने अंत में यह भी कहा कि समाज तभी आगे बढ़े

