
इंडिया गौरव, राहुल सीवन। अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के अवसर पर प्रमुख समाजसेवी गोल्डी बंसल व मां वैष्णो सेवा समिति के सदस्य व प्रमुख समाजसेवी कंवल संदूजा ने युवाओं को नशे से दूर रहने का संदेश दिया।
दोनों ने कहा कि नशा एक ऐसा धीमा जहर है, जो इंसान के जीवन को बर्बादी की ओर ले जाता है और उसके परिवार को भी गहरे दुख में डाल देता है। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी छोटी-छोटी बातों में तनाव लेती है और नशे की ओर आकर्षित हो जाती है, जो चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता ही इसका एकमात्र समाधान है, जिसके लिए समाज के हर वर्ग को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि नशा केवल एक व्यक्ति की नहीं, पूरे समाज की समस्या है, जो कई घरों को उजाड़ चुका है।
उन्होंने बताया कि वे समय-समय पर नशा मुक्ति अभियान चलाकर युवाओं को जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को छोटी उम्र से ही अच्छे संस्कार देने चाहिए ताकि वे कभी गलत रास्ते पर न जाएं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों के साथ बातचीत बनाए रखें और उनके व्यवहार में किसी भी बदलाव को गंभीरता से लें।
उन्होंने कहा कि प्रशासन के साथ-साथ समाजसेवियों की भी जिम्मेदारी है कि वे इस जहर के खिलाफ एकजुट हों। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक गांव और शहर में नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए जहां नशाग्रस्त लोगों को उचित मार्गदर्शन और इलाज मिल सके।
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे नशे की बजाय खेलों, योग और समाजसेवा की ओर अग्रसर हों। उन्होंने कहा कि जब तक युवा जागरूक नहीं होंगे, तब तक इस लड़ाई को जीतना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि नशे से दूर रहना ही नहीं, दूसरों को भी इससे बचाना हर नागरिक का कर्तव्य है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिन युवाओं ने नशा छोड़ा, आज वे समाज में प्रेरणा बन चुके हैं। दोनों समाजसेवियों ने संयुक्त रूप से कहा कि नशे के खिलाफ एक स्थायी आंदोलन चलाने की जरूरत है जो केवल एक दिन तक सीमित न रहे।
उन्होंने यह भी कहा कि धर्म, शिक्षा और सेवा – इन तीन मार्गों को अपनाकर युवा अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि नशा छूट सकता है, बशर्ते व्यक्ति को परिवार और समाज का साथ मिले। अंत में दोनों ने यह स्पष्ट किया कि नशा नहीं, नवचेतना ही आज का संदेश होना चाहिए और यह जिम्मेदारी हम सबकी है।

