Saturday, December 6, 2025
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गुरु पूर्णिमा, गुरु के बिना जीवन अधूरा, उनके चरणों में ही है मोक्ष का द्वार : महंत विश्वनाथ गिरी व महंत धीरज पुरी

इंडिया गौरव, राहुल सीवन। आज 10 जुलाई वीरवार को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के साथ मनाया गया। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस अवसर पर महंत विश्वनाथ गिरी महाराज व महंत धीरज पुरी महाराज ने गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु के बिना जीवन अधूरा और दिशाहीन होता है। गुरु ही हमारे जीवन के वास्तविक पथप्रदर्शक हैं जो हमें अज्ञान, मोह और भटकाव से बाहर निकाल कर सत्य, ज्ञान और प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

महंत विश्वनाथ गिरी जी

महंत विश्वनाथ गिरी जी ने कहा कि गुरु न केवल बाहरी संसार में सही राह दिखाते हैं बल्कि आंतरिक चेतना को भी जागृत कर आत्मा का उत्थान करते हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार गाड़ी को चलाने के लिए पहियों की जरूरत होती है उसी प्रकार जीवन रूपी रथ को सही दिशा देने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है। महंत धीरज पुरी महाराज ने कहा कि गुरु ही वह शक्ति हैं जो हर संकट में रक्षा कवच बनकर हमारे साथ खड़े रहते हैं। गुरु के सान्निध्य में रहने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और अध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है। उन्होंने कहा कि गुरु हमें यह सिखाते हैं कि जीवन केवल भौतिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है बल्कि आत्मा की शुद्धि और परमात्मा की प्राप्ति ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है।

महंत विश्वनाथ गिरी व महंत धीरज पुरी ने कहा कि

दोनों महंतों ने कहा कि गुरु पूर्णिमा का पर्व केवल एक तिथि या उत्सव नहीं बल्कि एक ऐसा दिव्य अवसर है जब हम अपने जीवन में उन गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने हमारे जीवन को दिशा दी है। इस दिन का महत्व केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है बल्कि यह आत्मा की गहराइयों से जुड़ा पर्व है जो हर शिष्य को अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे दिखावे और आडंबरों से दूर रहकर सच्चे दिल से अपने गुरु का स्मरण करें और सेवा, भक्ति, दया और करुणा के मार्ग को अपनाएं। महंत विश्वनाथ गिरी व महंत धीरज पुरी ने कहा कि गुरु की कृपा से जीवन में हर असंभव कार्य संभव हो जाता है और गुरु का आशीर्वाद ही जीवन की सबसे बड़ी निधि है। गुरु पूर्णिमा का पर्व आत्मिक जागरण, संस्कारों की पुनः स्थापना और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का श्रेष्ठ अवसर है जिसे सभी को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए। इस अवसर पर गुलशन, शालिनी, रिंपी, एकता, संतोष,अदिति, नित्यम, समर्थ व निशिका आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।

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