Saturday, December 6, 2025
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फसल बीमा योजना की खामियां बनी किसानों के लिए गले की फांस : सुल्तान जडौला

मांग : फसल नष्ट होने पर तत्काल पीडि़त किसान को मुआवजा दिया जाए

ढांड, 13 जुलाई । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक सुल्तान सिंह जडौला ने कहा कि प्रदेश में फसल बीमा योजना की गंभीर खामियां किसानों के लिए गले की फांस बन चुकी है। फसल बीमा योजना का मूल उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के समय आर्थिक राहत देना था, लेकिन यह योजना अब बीमा कंपनियों के मुनाफे का जरिया बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दौर में बाढ़, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि जैसी आपदाएं सामान्य हो गई हैं।

नई अनाज मंडी ढांड में

ऐसे में यदि किसी किसान की फसल नष्ट हो जाए, तो उसे तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए, ताकि वह अगली फसल की तैयारी कर सके। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में 2 से 3 साल की देरी आम बात हो गई है, जिससे किसान कर्ज में डूबता चला जाता है। नई अनाज मंडी ढांड में अपने प्रतिष्ठान पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व विधायक सुल्तान सिंह जडौला ने कहा कि सरकारें केवल प्रीमियम वसूलने तक ही जिम्मेदारी निभाती हैं, लेकिन जब क्लेम देने की बात आती है, तो किसानों को बीमा कंपनियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाता है। यह स्थिति तुरंत बदली जानी चाहिए। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में हजारों किसान कई वर्षों से फसल बीमा का क्लेम पाने के लिए भटक रहे हैं।

किसान एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में चक्कर काटने में लगा हुआ है

पर उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है। किसान एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में चक्कर काटने में लगा हुआ है। अधिकारियों और बीमा कंपनियों का गठजोड़ किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। कांग्रेसी नेता सुल्तान जडौला ने कहा कि जब किसान अपनी फसलों का बीमा करवाता है तो कंपनियां न तो समय पर सर्वे कराती हैं और न ही नुकसान के आकलन में पारदर्शिता रखती हैं। अनेक किसानों को तो बीमा क्लेम से संबंधित कोई दस्तावेज ही नहीं दिया जाता, जबकि वाहन बीमा जैसे क्षेत्रों में उपभोक्ता को पूरी बीमा पॉलिसी सौंपी जाती है। यह दोहरी नीति किसानों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियां गांव को एक इकाई मानकर पूरे क्षेत्र का नुकसान आंकती हैं।

पूर्व विधायक सुल्तान सिंह जडौला ने कहा

यदि किसी खेत में वास्तविक नुकसान हुआ है लेकिन पूरा गांव घोषित नुकसान की श्रेणी में नहीं आता, तो उस किसान को क्लेम नहीं मिलता। यह व्यवस्था किसान विरोधी है और इसमें तुरंत बदलाव होना चाहिए। कांग्रेसी नेता सुल्तान जडौला ने सरकार से मांग की है कि किसानों को व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी दी जाए, जैसे अन्य बीमा क्षेत्रों में दी जाती है। बीमा सर्वे में पारदर्शिता हो और  व्यक्तिगत खेत के नुकसान का आकलन हो। क्लेम की राशि एक तय समयसीमा के भीतर दी जाए। बीमा के नाम पर मुनाफाखोरी कर रही कंपनियों पर निगरानी रखी जाए और लापरवाही पर जुर्माना लगाया जाए।

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