एंकोरेज (अलास्का), 16 अगस्त (वेब वार्ता)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का के एंकोरेज में शुक्रवार को हुई बहुप्रतीक्षित आमने-सामने मुलाक़ात
तकरीबन तीन घंटे चली। हालांकि इस बैठक से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जिस “बड़ी प्रगति” की
उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हो सकी। खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध पर दोनों नेताओं के बीच कोई ठोस
सहमति या युद्धविराम की घोषणा नहीं हो पाई।
तीन घंटे चली बातचीत, लेकिन नतीजा शून्य
बैठक के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि “बातचीत रचनात्मक रही है और कई मुद्दों पर प्रगति हुई है,
लेकिन कोई समझौता तब तक नहीं होता, जब तक असल में समझौता नहीं हो जाता।” उनके
अनुसार, वार्ता ने भविष्य के लिए रास्ता खोला है, लेकिन समझौते की मंजिल अभी दूर है। वहीं,
राष्ट्रपति पुतिन ने संघर्ष को “त्रासदी” बताते हुए कहा कि रूस शांति में ईमानदारी से दिलचस्पी
रखता है। लेकिन उन्होंने शर्त जोड़ी कि स्थायी समाधान तभी संभव है जब इस संघर्ष के “मूल
कारणों” को दूर किया जाए।
वन-ऑन-वन से थ्री-ऑन-थ्री फॉर्मेट
शुरुआती योजना थी कि मुलाक़ात सिर्फ दोनों नेताओं के बीच होगी। लेकिन आख़िरी समय पर इसमें
बदलाव किया गया और बातचीत “थ्री-ऑन-थ्री फॉर्मेट” में चली। अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री
मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ मौजूद थे। रूस की ओर से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव
और विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव मेज़ पर थे। विशेष बात यह रही कि इस बैठक में न तो
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की शामिल थे और न ही कोई यूक्रेनी प्रतिनिधि। जबकि बैठक
का मुख्य मुद्दा ही रूस-यूक्रेन युद्ध था।
ज़ेलेंस्की की प्रतिक्रिया और अमेरिकी यात्रा
बैठक के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूस की ओर से युद्ध खत्म करने का कोई
संकेत नहीं मिला है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह सोमवार को वॉशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति ट्रंप
से आमने-सामने मुलाक़ात करेंगे।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर ज़ेलेंस्की ने लिखा, “हम राष्ट्रपति ट्रंप के साथ लंबी
और सार्थक बातचीत कर चुके हैं। उन्होंने अमेरिका-रूस-यूक्रेन त्रिपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव दिया है और
हम इसका समर्थन करते हैं। बड़े मुद्दों पर सीधी चर्चा नेताओं के स्तर पर होनी चाहिए।”
पुतिन का सख्त संदेश
पुतिन ने युद्ध को रोकने की इच्छा जताई, लेकिन पश्चिमी देशों को चेतावनी भी दी कि वे शांति
प्रक्रिया को बाधित करने या नुकसान पहुंचाने से बचें। उन्होंने इसे “संघर्ष समाधान की दिशा में
शुरुआती बिंदु” करार दिया। रूसी राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ रिश्तों को “व्यावसायिक” बताया
और सहमति जताई कि यदि ट्रंप 2020 के चुनाव में दोबारा राष्ट्रपति बने रहते, तो यह युद्ध
संभवतः शुरू ही नहीं होता।
ट्रंप का संतुलित बयान
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि कुछ मुद्दों पर सहमति बनी है, लेकिन कई अहम सवाल अब भी खुले हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आगे की बातचीत में वह नाटो सहयोगियों, यूरोपीय नेताओं और सीधे
यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से भी राय लेंगे। उनके शब्दों में – “हम वहां तक नहीं पहुंचे, लेकिन प्रगति
ज़रूर हुई है।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस और चुप्पी
बैठक के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान तो जारी किया, लेकिन पत्रकारों के सवाल नहीं लिए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल बयान पढ़े गए। रूस की ओर से राष्ट्रपति प्रेस सचिव दिमित्री पेस्कोव ने कहा,
“दोनों नेताओं ने व्यापक टिप्पणी दी, इसी कारण सवालों के लिए समय नहीं बचा।” ट्रंप ने प्रेस
कॉन्फ्रेंस को पुतिन को धन्यवाद देकर खत्म किया और कहा, “हम बहुत जल्द दोबारा मिलेंगे।” जिस
पर पुतिन ने अंग्रेज़ी में जवाब दिया – “अगली बार मॉस्को में।”
भारत के लिए संकेत
इस बैठक के राजनीतिक और कूटनीतिक मायने भारत के लिए भी अहम हैं। दरअसल, सम्मेलन से
पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के रूस से बढ़ते तेल आयात पर सवाल उठाए थे। विशेषज्ञों का मानना
है कि यह बयान रूस को अप्रत्यक्ष रूप से दबाव में लाने की रणनीति थी, जिसमें भारत को बीच का
चैनल बनाया गया। भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक संतुलित नीति अपनाई है। एक तरफ़ उसने
रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की, वहीं दूसरी तरफ़ अमेरिका और
पश्चिमी देशों के साथ कूटनीतिक संवाद भी बनाए रखा। इस लिहाज़ से ट्रंप-पुतिन वार्ता का भारत पर
असर पड़ना लाज़मी है।
आगे क्या?
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बैठक से भले ही ठोस नतीजा न निकला हो, लेकिन संवाद का दरवाज़ा
खुला है। अगर भविष्य में मॉस्को में अगली मुलाक़ात होती है तो यह शांति प्रक्रिया का महत्वपूर्ण
पड़ाव होगा। वहीं ज़ेलेंस्की और ट्रंप की आगामी मुलाक़ात पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र रहेगी,
क्योंकि इसमें युद्धविराम के लिए नया फॉर्मेट सामने आ सकता है।

