तटवर्ती क्षेत्र में बाढ़ का पानी नए इलाकों में प्रवेश किया, जनजीवन अस्त व्यस्त
वाराणसी, 06 अगस्त । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सदानीरा गंगा की रौद्र लहरें बाढ़ के
उच्चतम बिंदु के करीब पहुंच कर शांत और स्थिर होने के बाद लौटने लगी है। लेकिन खतरा टला
नहीं है, अभी भी लहरें खतरे के निशान 71.26 मीटर से काफी ऊपर बह रही है।
केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार को सुबह 06 बजे गंगा का जलस्तर 72.20 मीटर दर्ज किया
गया। गंगा के जलस्तर में औसतन एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे के रफ्तार से घटाव का क्रम बना रहा।
पूर्वांह दस बजे गंगा का जलस्तर 72.12 मीटर रहा। इसके बाद गंगा के जलस्तर में लगभग दो
सेंटीमीटर प्रतिघंटे की दर से घटाव का क्रम शुरू हो गया। गंगा और वरूणा नदी के जलस्तर में बढ़ाव
से शहर और ग्रामीण अंचल के तटवर्ती निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। कहीं कमर भर
तो कहीं छाती भर जलभराव से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। प्रभावित लोग पलायन कर
सुरक्षित स्थान या फिर राहत शिविर में पहुंच रहे हैं। गंगा में घटाव का रूख होने के बावजूद तटवर्ती
क्षेत्र में बाढ़ का पानी नए इलाकों में प्रवेश कर गया है।
दशाश्वमेध स्थित प्राचीन शीतला घाट से गंगा का पानी निकट स्थित वीडीए प्लाजा के अन्डर ग्राउंड
में पहुंच गया है। गंगा में उफान और इसकी वजह से वरुणा में लगातार पलट प्रवाह की वजह से
पीड़ित क्षेत्र का दायरा भी बढ़ रहा है। पहाड़ों पर लगातार बारिश और गंगा व कोटा बैराज से पानी
छोड़ने के बाद जलस्तर में अतिरिक्त प्रवाह मुसीबत बन गया है। वाराणसी शहर के 24 मोहल्लों और
32 गांवों में बाढ़ से वहां टापू की स्थिति बन गई है। हजारों परिवार बेघर हो गए हैं और लगभग
साढ़े पांच हजार लोग विस्थापित हो चुके हैं। इनमें से 2,877 ने बाढ़ राहत शिविरों तो शेष लोगों ने
अन्य ठिकानों में शरण ली है। बाढ़ के चलते 328 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलें जलमग्न हो चुकी हैं।
शहरी क्षेत्रों में घाटों को पार कर पानी सड़कों और गलियों तक आ गया है। मणिकर्णिका घाट की
गलियों में नावें चल रही हैं। जिले के पिपरी गांव स्थित बेला धौरहरा मार्ग, बेला बर्थरा खुर्द मार्ग का
सम्पर्क टूट गया है। इन इलाकों में भी एहतियातन बिजली काट दी गई है।

