आरोप: किसानों केम्मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार गंभीर नहीं
ढांड, 29 जून । युवा भाकियू चढूनी हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम कसाना ने कहा कि किसान मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार गंभीर नहीं है। बेरोजगारी, स्वास्थ्य, महंगाई जैसी समस्याएं आने वाले समय में विकराल रूप धारण करेंगे। किसान कर्ज में दब चुका है ऐसी स्थिति में उसे आत्महत्या करनी पड़ रही है। विक्रम कसाना उत्तराखंड के जनपद हरिद्वार में आयोजित
भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर के समापन के बाद आज कस्बे में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की केन्द्र सरकार को सत्ता चलाते हुए 11 वर्ष पूर्ण हो गए हैं, लेकिन देश का किसान, मजदूर, आदिवासी, दलित, शोषित, पिछडा वर्ग आज भी अपने वजूद को तलाश रहा है। हक व अधिकारों से वंचित यह सभी वर्ग केन्द्र सरकार के 11 वर्ष पूर्ण होने पर अपने कई सवाल पूछ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश का किसान पिछले कई वर्षों से एमएसपी को गारंटी कानून बनाने की मांग कर रहा
है। सरकार के द्वारा एमएसपी को गारंटी कानून का दर्जा आज तक क्यों नहीं दिया गया और साथ ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को आज तक लागू क्यों नहीं किया गया?। संपूर्ण कर्ज माफी फसलों के वाजिब भाव न होना देश के किसान, मजदूर को कर्ज लेने पर मजबूर कर रहे हैं। सरकार की असफल नीतियों का खामियाजा देश के कई महत्वपूर्ण वर्ग झेल रहे हैं।
चुनिंदा उद्योगपतियों का कर्ज बिना किसी सार्वजनिक सूचना के माफ कर दिया जाता है, लेकिन देश के किसान का संपूर्ण कर्ज क्यों माफ नहीं किया जा रहा है?। किसान नेता विक्रम कसाना ने कहा कि भूमि अधिग्रहण-राष्ट्रीयकृत हाईवे और संस्थाओं के नाम पर देशभर में अधिग्रहण का कार्य जोरो-शोरों से चला हुआ है। कारपोरेट घराने अपनी मनमर्जी से जमीनों का अधिग्रहण कर रहे हैं। सरकार के द्वारा 2013 में बनाए गए भूमि अधिग्रहण एक्ट को भी अप्रभावी साबित कर दिया गया है। जीएसटी मुक्त खेती-देश का किसान कोरोना जैसी महामारी
के समय पर भी अन्न उत्पादन कर देश का पेट भर रहा था, लेकिन दुर्भाग्य है कि खेती में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं पर देश के अन्नदाता को जीएसटी देना पड़ता है। किसान जीएसटी मुक्त खेती की मांग कर रहा है, लेकिन आज तक खेती में उपयोग होने वाले यंत्र व वस्तुओं को जीएसटी मुक्त क्यों नहीं किया गया?। हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम कसाना ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना देश का किसान प्रत्येक वर्ष प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होता है, जिसका सीधा प्रभाव देश के खाद्यान्न और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। उसे प्रधानमंत्री
फसल बीमा योजना का भी लाभ नहीं मिल पाता है। कागजों में यह योजना पूर्ण रूप से कार्य कर रही है, लेकिन धरातल पर यह अप्रभावी है। हर खेत जल सरकार के द्वारा अनेकों योजनाओं को सिंचाई के नाम पर चलाया जा रहा है, जिसकी भारी भरकम घोषणा हर बजट में की जाती है, लेकिन देश के किसान का दुर्भाग्य है कि वह खेत तक जाते-जाते गायब हो जाती है। विक्रम कसाना ने आरोप लगाया कि ‘‘सबका साथ सबका विकास’’ का नारा सिर्फ विज्ञापनों में दिखाई पड़ रहा है धरातलीय स्थिति इसके विपरित है। ‘‘खुद का ही साथ खुद का ही विकास’’ यह आज के भारत की स्थिति है। इस मौके पर उनके साथ कई किसान मौजूद थे।

