नई दिल्ली / सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में रोजाना भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। सोमवार भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सावन का व्रत भी रखा जाता है। देवों के देव महादेव का जलाभिषेक किया जाता है। पंचांग के अनुसार, गुरुवार 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है। इसके अगले दिन से सावन महीने की शुरुआत होगी। 11 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत होगी। आषाढ़ पूर्णिमा 11 जुलाई को देर रात 02 बजकर 06 मिनट से शुरू होगी। 12 जुलाई को देर रात 02 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषियों की मानें तो 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है। इसके अगले दिन से सावन का महीना शुरू होगा। सावन महीने की पहली सोमवारी का व्रत 14 जुलाई को रखा जाएगा। इसके बाद क्रमशः 21 जुलाई को दूसरी सोमवारी, 28 जुलाई को तीसरी सोमवारी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, 04 अगस्त को चौथी और अंतिम सोमवारी का व्रत रखा जाएगा। 09 अगस्त को सावन पूर्णिमा है। इस दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा।देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शीघ्र विवाह के लिए सावन महीने में भगवान शिव की पूजा और सावन सोमवार का व्रत रखने की सलाह देते हैं। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं के सौभाग्य में वृद्धि होती है। मंगला गौरी का व्रत हर साल सावन मास के मंगलवार के दिन रखा जाता है। ऐसे में सावन में आने वाले सभी मंगलवार का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं औक कुंवारी कन्या दोनों ही रखती हैं। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है।
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